उल्टा नामु जपत जगु जाना । आध्यात्मिक ज्ञान।

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~~श्री हरि ~~
 
उल्टा नामु जपत जगु जाना ।
बाल्मीकि भए . ब्रह्म समाना । ।
सहस नाम सम सुनि सिव बानी । ने
जपि जेईं पिय संग भवानी । ।
राम‘ नाम सहस्त्रनामके समान है, भगवान शंकर इस वचनक्रो सुनकर पार्वत्तीजी सदा उनके साथ ‘राम’ नाम जपती रहती हैं ।
पद्मपुराणमेँ एक कथा आती है । पार्वतीजी सदा ही व्रिष्णुसहस्त्रनामका पाठ करके ही भोजन किया करतीं । एक दिन भगवान् शंकर बोले-‘पार्वती ! आओ भोजन करे । ‘ तब पार्वतीजी बोली… ‘महाराज  मेरा अभी सहस्त्रनामका पाठ बाकी है । ‘ भगवान् शंकर बोले… . .
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे । 
सहस्त्रनाम त्तचुत्यं राम नाम वरानने । ।
पद्मपुराणके उस विष्णुसहस्त्रनाममेँ यह लोक आया है । राम, राम, राम…ऐसे तीन बार कहनेसे पूर्णता हो जाती है । ऐसा जो ‘राम’ नाम है, हे वरानने “! हे रमे ! रामे मनोरमे, मैं सहस्ननामके तुल्य इस ‘राम’ माममे ही रमण कर रहा हूँ । तुम भी उस ‘राम’ नामका उच्चारण
करके भोजन कर लो । हर समय भगवान् शंकर राम, राम, राम, जप
करते रहते हैं । पार्वतीजीने भी फिर ‘राम’ नाम ले लिया और भोजन . कर लिया ।

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