जिन्दगी पंथ है मंजिल की तरफ जाने का।
जिन्दगी पंथ है मंजिल की तरफ जाने का।
इन दोनों शब्दों से ऊपर का एक शब्द है वह है आनंद आनंद भीतर से होता है उसका संबंध हमारी इन्द्रिय चेतना से नहीं वह हमारी अन्नस चेतना से स्फूर्त होता है। आनंद श…
प्रत्येक परिस्थिति मे प्रसन्नता का राजमार्ग।
प्रत्येक परिस्थिति मे प्रसन्नता का राजमार्ग।
जब मन चंगा तो कठौती में गंगा।
हर व्यक्ति सुख शांति और प्रसन्नता से जीना चाहता है लेकिन उसके जीवन में उतनी दुख, अशांति और उद्विग्नता दिखती है। सुब…
आत्मदर्शन और एक संत की अमृत वाणी।
आत्मदर्शन
[ एक संतकी अमृत वाणी ]
-मानवजीवनको एकमात्र मंजिल परमात्म-प्राप्ति ही है और दूसरा कुछ भी नहीं संसारमें अनेक मंजिलोंतक पहुँचनेके लिये बड़े हाथ-पैर…