चहुँ जुग चहूँ श्रुति नाम प्रभाऊ । कलि तिसेपि नहि आन उपाऊ । । नाम्रामकारि बहुधा निज सर्वशक्ति स्तत्रार्पिता नियमित: स्मरणे न काल: । ।

Spread the love

            ~~श्री हरि~~

 
चहुँ जुग चहूँ श्रुति नाम प्रभाऊ । 
कलि तिसेपि नहि आन उपाऊ । । 
नाम्रामकारि बहुधा निज सर्वशक्ति 
स्तत्रार्पिता नियमित: स्मरणे न काल: । । 
श्रीचैतन्य-महाप्रभुने कहा है कि नाममेँ भगवान्ने अपनीसब-की-सब शक्ति रख दी । अनेक साधनोंमे जो शक्ति है, सामर्ध्व हैं, जिन साधनोंके करनेसे जीवका कल्याण होता हैं, कलियुगको देखकर भगवान्ने भगवन्नाममें उन सब साधनोंकी शक्ति रख दी । जो अनेक साधनोंमें ताकत है, वह सब ताकत नाम महाराजमे है । इसे स्मरण करनेके लिये समयका प्रतिबन्थ भी नहीं है । सुबह, दोपहर या रातमें, किसी समय जप करे । ‘ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य ही करें, दूसरे न करे, भाई लोग जप करे, माता-बहनें न करें’-ऐसा कोई नियम नहीं है । ‘ कलिसंतरणोपनिषद्में नाम-महिमा आयी है । एक बार नारदजी ब्रह्माजीके पास गये ।ब्रह्माजीने पूछा…’कैसे आये हो ? ‘ नारदजीने कहा-पृथ्वीमण्डलपर अभी कलियुग आया हुआ है । इस कलियुगमेँ जीवोंका उद्धार सुगमतापूर्वक कैसे हो ? ‘ ब्रह्माजीने कहा…’कलियुगके पापोंको दूर करनेके लिये यह महामन्त्र है… ‘हरे . राम हरे राम राम राम हरे हरे । हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृप्या हरे हरे ।।‘ ‘इति षोडशकॅ कल्मषमाशनम् । ‘ भगबन्नाम ही इस कलियुगमेँ सुगम साधन है । ” फिर नारदजीने पूछा…’क्रोऽस्ति विधिरिति सहोवाच प्रजापति:  भगवन्नाम लेनेकी

विधि क्या है ? तो ब्रह्माजीने उत्तर दिया-‘नास्ति विधि: ‘ कोई कैसा ही हो । पापी हो या पुण्यात्मा वह नाम जपता हुआ सायुज्य, सालोक्य आदि मुक्तियोको प्राप्त कर लेता है । इसलिये नाम लिये जाओ बस । कलियुगी जीवोंके लिये कितनी सुगम बात बता दी ! अगर विधियाँ बता देते तो मुश्किल हो जाती । नाम-जपमे निषेध कुछ है ही नहीं

। ‘सुमिरत सुलभ सुखद सब काहू‘ सबके लिये सुलभ है । ‘सुलभं भगवन्नाम वागस्ति वशवर्तिनी’ । भगवान्का नाम सुलभ है, इसपर

कोई प्रतिबन्थ नहीं लगाया है । वर्तमान सरकारने भी कोई प्रतिबन्ध

नहीं लगाया है, आगे खतरा हो सकता है, परंतु अभी कोई प्रतिबन्ध नही है । खुला नाम लो भले ही, कोई मना नही है

राम दडी़ चौडे पडी, सब कोई खेलो आय ।
दावा नाहीं सन्तदास, जीते सौ ले जाय ।।

किसीका दावा नहीं है । सब कोई भगवान्का नाम ले सकते है ; जैसे बापकी जगहपर बेटेका हक लगता है, वैसे भगवन्नामपर हमारा  पूरां-का-पूरा हक लगता है; क्योकि यह हमारे बापका नाम है । ऐस अपनेको अधिकार मिला हुआ है । कितनी मौज़की बात है, कितने आनन्दकी बात है यह ! मनुष्य शरीर मिल गया और फिर इसमे भगवान्का नाम मिल गया ।

हाथ काम मुख रांम है, हिरदे साँची प्रीत ।
दरिया गृहस्थी साध की, चाही उत्तम रीत ।।

हाथोंसे अपना काम करते हुए मुँहसे ‘राम’ नाम जप करते रहें । बहनें-माताएँ घरका काम करें । भाई लोग खेतोंमें या दूकानोंमे काम करे । वे जहाँ हों, वहाँ ही रहकर काम काते रहे । हृदयमे भगवान्से स्नेह बना रहे । हमेँ भगवान्की तरफ हो चलना है । मनुष्य-शरीर मिला है इसलिये उद्धार करना है । हृदयमे सच्चा प्रेम भगवान्से हो, सांसारिक पदार्थों से भोगोंसे न हो . संतोंने कहा है…

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *