जीवन से जुड़ी प्रेरणा दायक बाते भाग 2

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                                अहिंसा

 संसार में सबको अपनी जान प्यारी है , मरना कोई नहीं चाहता । इसलिए , किसी भी प्राणी की हत्या नहीं करनी चाहिये । 
 
 अहिंसा की सेवा भगवान की सेवा है । जो अहिंसा की सेवा करेगा , वह समाज और विश्व की सेवा करेगा । 
 
   तुम्हारी जान पर भी आ बने , तब भी किसी की प्यारी जान मत लो । 
   
 अहिंसा का अर्थ है अनन्त प्रेम और उसका अर्थ है कष्ट सहने की अनन्त शक्ति । 
 
 जो निर्दोष प्राणियों का वध करता है , उसे जीते जी और मरने के बाद कहीं सुख नहीं मिलता । 
 
 अहिंसा , करुणा , सदाचार ये सारे अंतःकरण के आभूषण है । करुणा की शीतलता क्रूर से क्रूर व्यक्ति का हृदय भी आर्द्र कर देती है ।
 
 धर्म की जन्मभूमि दया है । दया का भाव दुष्टों को भी बदल देता है । दयालुता एक ऐसी भाषा है , जिसे बहरे सुन सकते हैं और अंधे देख सकते हैं ।
 
 जो असहायों पर दया नहीं करेंगे , उन्हें शक्तिशालियों के अत्याचार सहने पड़ेंगे ।
 
 दया के विचार मत करो ठण्डे , वरना दुर्गति में पड़ेंगे डण्डे । केवल मनुष्य 1 में ही नहीं , अपितु प्रत्येक प्राणी में आत्मा है , 
 
यह ध्यान में रखकर प्राणीमात्र के प्रति सद्भावना रखना ही सच्ची मानवता है । अहिंसक होने का अर्थ यह नहीं कि दुश्मन तुम्हारा सिर काटने तुम सिर झुकाकर बैठ जाओ । 
मानव ! यदि तू अपने जीवन को अहिंसक बनाये रखना चाहता है तो यह ध्यान रख कि जिस व्यक्ति से तू अपना जीवन चलाने के लिए सहयोग , लाभ या काम ले , उसे कोई पीड़ा न हो । 
 

                            आचरण

 
 सार्थक व प्रभावी उपदेश वह है , जो वाणी से नहीं , अपने आचरण से प्रस्तुत किया जाता है । जिनके भीतर आचरण की दृढ़ता रहती है , वे ही विचार में निर्भीक और स्पष्ट हुआ करते हैं । 
 
विद्वान् तो बहुत होते हैं , पर विद्या के साथ जीवन का आचरण करने वाले बहुत कम होते हैं । अपनी जुबान पर उन बातों को मत लाइये , जिन्हें आप खुद नहीं जी पाये हैं । 
आचरण वो दर्पण है , जिसमें हर मनुष्य अपना प्रतिबिम्ब देख सकता है । श्रेष्ठ कुल का लक्षण सदाचरण से युक्त जीवन ही है । 
दुराचरण नीच जन्म को सिद्ध कर देगा । सदाचरण का उल्लंघन करके कोई कल्याण नहीं पा सकता । रास्तों को महापुरुषों के नाम दे देना सरल है , 
परन्तु महापुरुषों के रास्ते पर जीवन को चलाना अतिशय कठिन है । सर्वप्रथम माता – पिता के आचरण से ही बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं । 
अपने स्वरूप को जानना ज्ञान है , अपने स्वरूप में लीन होना आचरण है । 

                          आत्मविश्वास 

बाधाओं को देखकर विचलित न बनें । विश्वास रखें , जीवन में निन्यानवें द्वार बंद हो जाते हैं , तब भी कहीं ना कहीं एक द्वार जरूर खुला रहता है ।
  धीरज मत खोओ । हीनता और हताशा तुम्हें शोभा नहीं देती । अपने आत्मविश्वास को बढ़ाओ , फिर से प्रयास करो , 
  
तुम्हें सफलता अवश्य मिलेगी । अगर आप सोचते हैं कि आप जीत नहीं सकते तो निश्चित है आप नहीं जीतेंगे । 
क्योंकि सफलता की शुरूआत इन्सान की इच्छा शक्ति से होती है । जीवन की लड़ाइयाँ सिर्फ तेज और मजबूत लोग ही नहीं जीतते , 
बल्कि वह भी जीतते हैं जिनमें आत्मविश्वास होता है । आत्मविश्वास से बढ़कर न कोई मित्र है , न प्रगति की कोई सीढ़ी । 
आप इस मित्र को सदा अपने साथ रखिए । यह आपको पर्याप्त सम्बल देगा । संसार की सबसे बड़ी चमत्कारी शक्ति का नाम आत्मविश्वास आत्मविश्वास ऐसा टॉनिक है , 
जो हमारी सर्वोत्तम शक्ति को सक्रिय बनाता है ।

                     आत्मा 

 
आत्मा ही कामधेनु और नन्दनवन है । 
आत्मा ही अपना स्वर्ग और नरक है । दुनिया का प्रेमी , आत्मा का प्रेमी नहीं होता । आत्मा का प्रेमी , दुनिया का प्रेमी नहीं होता । 
दुनिया की वफादारी बहुत निभाई , मिला कुछ नहीं । आत्मा की वफादारी निभाई , मिलने जैसा बचा कुछ नहीं । मन की गति बंद कर दो आत्मा की प्रगति शुरू हो जायेगी । 
पौषध आत्मा के लिए सबसे अच्छा औषध है । 
 चेतना के अभाव में यह देह शिव से शव हो जाता है ।  
                              

                                आयु 

  
अभागे , मूर्ख व गतायु पुरुष की आयु रात्रि में निद्रा के द्वारा हर ली जाती है और दिवस में व्यर्थ कर्मों के द्वारा । तुम लोग क्यों नहीं देखते , 
जीवन का अर्धांश तो नींद में ही चला जाता है , उसका अर्धांश भोजन आदि में व्यतीत हो जाता है , बोलो कितनी आयु शेष रही ? 
यह मिला , यह नष्ट हुआ और यह सुन्दर वस्तु पाऊँगा , इसी चिन्तन में मनुष्य की आयु समाप्त हो जाती है । न धन – संचय किया , न विद्यार्जन किया , न कुछ तप ही संचित किया और सारी आयु व्यर्थ ही बीत गई ! 
लोग मुझे पूछते हैं कि तुम्हारा शरीर कुशल है , पर हमें कुशलता कहाँ , क्योंकि आयु प्रतिदिन क्षीण होती जा रही है ।
 उद्योगपति धीरूभाई अंबानी की 77000 करोड़ की सम्पदा एक दिन भी जिंदगी बढ़ा नहीं सकी । 
 

                            आलस्य 

यदि आप खाली और निठल्ले बैठे रहेंगे तो दिमाग इधर – उधर की सोचता रहेगा ।
 
 व्यस्त रहने वाले लोगों को फालतू सोचने का वक्त नहीं मिलता । 
 
गलतियों की संभावना तभी शून्य हो सकती है , जब कोई काम किया ही न जाए । 
 आलसी , दरिद्र और प्रमादी के लिए प्रगति के समस्त द्वार बंद हो जाते हैं । 
 
आलस्य और झिझक आगे बढ़ने के रास्ते में सबसे बड़े अवरोधक हैं । सुस्ती का त्याग कीजिए वरना आप सुस्ती में ही व्यस्त रह ।
 सफलता की राह में आलस्य से बड़ी बाधा दूसरी कोई नहीं । आलस्य वह राजरोग है , जिसका रोगी कभी नहीं संभलता । 
 
आलस्य में जीवन बिताना आत्महत्या के समान है । आलस्य और दुर्भाग्य एक ही वस्तु के दो नाम है । 
निठल्ला बैठा आदमी जल्दी बूढ़ा हो जाता है । आलस्य का एकमात्र इलाज है , काम करो । 
निर्धनता आलस्य का पुरस्कार है ।

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