तुम्ह पुनि राम राम दिन राती ।
~~श्री हरि~~
तुम्ह पुनि राम राम दिन राती ।
सादर जपहु अनँग आरांती । ।
‘आप तो महाराज रात दिन आदरपूर्वक ‘राम-राम-राम’ जप कर रहे हैं । एक एक नाम लेते-लेते उसमें आपकी श्रद्धा, प्रेम, आदर उत्तरोत्तर बढता ही जा रहा है । “दिन राती‘ -न रातका ख्याल है, न दिनका । वह नाम किसका है ? वह ‘राम’ नाम क्या है महाराज ? ‘ ऐसा पार्वतीके पूछनेपर शिबजीने श्रीरामजीकी कथा सुनायी ।
रचि महेस निज मानस राखा ।
पाइ सुसमउ सिवा सन भाषा । ।
, पहले भगवान् श्रीशंकरने राम-कथाको रचकर अपने मनमे ही रखा । वे दूसरोंको सुनाना नहीं चाहते थे, पर फिर अवसर पाकर उन्होंने यह राम कथा पार्वतीजीको सुनायी ।
भगवान् शंकर राम नामपर इतना स्नेह है किं चिताभस्मालेप: ‘ वे मुदेंक्रो भस्म अपने शरीरपर लगाते हैं । इस
विषय में एक बार सुनी है कोई एक आदमी मर गया लोग उसे श्मशान ले जा रहे थे और राम नाम सत्य है ऐसा उच्चारण कर रहे थे शंकर ने देखा कि यह कोई भक्त है जो इसके प्रभाव से ले जाने वाले राम नाम बोल रहे हैं बड़ी अच्छी बात है वह उनके साथ में हो गए राम नाम की ध्वनि सुने तो राम नाम के प्रेमी साथ हो ही जाए जैसे पैसों की बात सुनकर पैसों के लोभी उधर खींच जाते हैं सोने की बात सुनते ही सोने के लोभी के मन में आती है कि हमें भी सोना मिले और गहना बनवाए इसी प्रकार भगवान शंकर मन भी राम नाम सुनकर उन लोगों की तरह खींच गया अब लोगों ने मुर्दे को श्मशान में ले जाकर जला दिया और पीछे जब अपने अपने घर लौटने लगे तो भगवान शंकर सोचा क्या बात है यह आदमी तू वह के वही है परंतु नाम कोई लेता ही नहीं उनके मन में आया कि उस मुद्दे में ही करामात थी उसके कारण ही यह सब लोग राम नाम ले रहे थे वह मुर्दा कितना पवित्र होगा भगवान शंकर ने शमशान में जाकर देखा वह तो जलकर राख हो गया इसलिए उन्होंने उस मुर्दे की बस अपने शरीर में लगा ली और वहां ही रहने लगे अंत राख में रा और मुर्दे में मां इस तरह राम हो गया राम नाम उन्हें बहुत प्यारा लगता है राम नाम सुनकरवह खुश हो जाते हैं प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए मुर्दे की राख अपने अंगों में लगाते हैं।