नज़रिया बेहतर जीवन का आध्यात्मिक ज्ञान।

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नज़रिया बेहतर जीवन का।


 एक काम के तीन नज़रिये 

एक स्थान पर मंदिर का निर्माण चल रहा था , सैकड़ों मजदूर निर्माण कार्य में जुटे थे , पत्थर तराश रहे थे । इसी बीच किसी संत का उधर से गुजरना हुआ । संत ने काम करते हुये एक मजदूर से पूछा कि भाई , क्या कर रहे हो ? उस मजदूर ने बेरुखी से घूरते हुये संत को जवाब दिया , दिखता नहीं , अंधे हो क्या ? पत्थर तोड़ रहा हूँ ।
संत मुस्करा कर आगे बढ़ गये । कुछ दूरी पर दूसरा मजदूर भी यही काम कर रहा था । वे उसके नजदीक पहुँचे और पहुँच कर उससे भी वही प्रश्न पूछा कि भाई क्या कर रहे हो । उसने जवाब दिया , पेट पाल रहा हूँ ।
 उसके स्वरों में बेबसी और लाचारी झलक रही थी । संत मुस्कुरा उठे थोड़ा आगे बढ़े कुछ दूरी पर एक तीसरा मजदूर भी वही काम कर रहा था , जो पत्थर तोड़ते तोड़ते मुंह से कुछ गीत भी गुनगुना रहा था । 
संत उसके नजदीक पहुँचे , और उससे पूछा कि भाई क्या कर रहो हो ? मजदूर के होंठो पर एक मुस्कान आई , बोला मन्दिर बना रहा हूँ । भगवान यहाँ बैठेंगे । यहाँ काम एक हो रहा है पर तीन तरह की प्रतिक्रियाएँ , तीन अलग – अलग मनोभावों को व्यक्त कर रही हैं ।
मनुष्य तीन तरह के होते हैं , कुछ लोग ऐसे होते हैं , जो सारी जिंदगी केवल पत्थर तोड़ने का कार्य करते हैं । कुछ लोग हैं जो केवल पेट पाल कर रह जाते हैं । लेकिन वे लोग विरले होते हैं जो अपने जीवन को मंदिर बना डालते हैं ।
जिस मनुष्य के भीतर क्रोध भरा होगा , जिस व्यक्ति के भीतर गुस्सा होगा , उसे सब गुस्से से भरे दिखाई पड़ेंगे और उसका जवाब यही होगा कि पत्थर तोड़ रहा हूँ । ऐसे आदमी अपनी  जिंदगी को केवल पत्थर बनाते हैं और पत्थर ही तोड़ने का काम करते हैं । 
वे अपने जीवन में कुछ हासिल नहीं कर पाते हैं लेकिन जो अपने जीवन को केवल गुजारे का साधन बनाकर चलते हैं अपने जीवन को समग्रता से पहचानते नहीं , वे अपने जीवन का अभिनंदन कैसे कर पाते हैं ? सुबह से शाम तक दो जून की रोटी और चार हाँथ कपड़े की जुगाड़ में ही उनकी जिंदगी बेवसी और लाचारी में बीत जाती है ।
बस यूँ ही अपना जीवन गुजारते हैं , जैसे पशु पक्षी खा पीकर अपना जीवन गुजार लेते हैं । ऐसे ही लोग इस प्रकार के दृष्टिकोण से ग्रसित होते हैं ।
वे केवल अपने जीवन को गुजार देते हैं । लेकिन तीसरे लोग बड़े विरल पर विलक्षण होते हैं । ये लोग वे होते हैं जो अपने जीवन के प्रति अहोभाव से भरे होते हैं ।
 
जिनका दृष्टिकोण अपने जीवन के प्रति बड़ा सकारात्मक होता है जो अपनी जिन्दगी को बड़ी सकारात्मकता से लेते हैं । वे सच में अपने जीवन को एक मंदिर बना लेते हैं ।     More info click here
 
 
 
 
 
 

 

 
 
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