नर तन दीनों रामजी, सतगुरु दीनो ज्ञान’ ए घोडा़ हाँको अब, ओ आयो मैदान ।
~~श्री हरि~~
नर तन दीनों रामजी, सतगुरु दीनो ज्ञान’
ए घोडा़ हाँको अब, ओ आयो मैदान ।
औ आयो मैदान बाग करड़ी कर साबो,
हृदय राखो . ध्यान नाम रंसमासे गावो ।
कुण देख सगराम कहे आगे काढे कान,
नर तन दीनी रामजी, सतगुरु दीनो ज्ञान ।।
कह दास सगराम बरगड़े घालो घोड़ा
भजन करो भरपूर रह्या दिन बाकी थोडा ।
थोडा़ दिन बाकी रह्या कद पहु़ँचोला ठेट,
अध बिचमें बासो बसो तो पड़सो किणरे पेट ।
पड़सो किणरे पेट पड़ेला भारी फोडा़,
कह दास स्रगरांम बरगड़े घालो घोडा ।
ऐसा बढि़या मौका आ गया है । कितना सीधा, सरल रास्ता संतोंने बता दिया ! ‘संतदास सीधो दड़ो सतगुरु दियो बताय’, ‘धावत्रिमिल्य वा नेश्रे न स्खलेन्नपतेदिह । ‘ इस मार्गमेँ मनुष्य न स्खलित होता है, न गिरता है, न पड़ता है…ऐसा सीधा और सरल रास्ता है । संतोंने कृपा करके बता दिया । हर कोईं ऐसी गुप्त बात बताते नहीं हैं…
राम नामकी संतदास दो अन्तर धक धूण ।
या तो गुपती बात है कहो बतावे कूण । ।
तुलसीदासजी कहते हैं ‘कमठ सेष सम धर बसुधा के’ ‘राम’ नामके दो अक्षर ‘र’ और ‘म’ शेषनाग और कमठंके समान है । जैसे पृथ्वीको धारण करनेवाले शेष और कमठ हैं, ऐसे यह जो ‘राम’ नाम है इसमें ‘र’ शेषनाग है ( ‘र’ का आकार भी ऐसा ही होता है) और ‘म’ कमठ (कछुआ) है । संसारमात्रको धारण करनेमें रामजी महाराज कमठ और शेषके समान हैँ । अपने भत्तल्की धारण करनेमें उनके कौन बडी बात है !
सरवर पर गिरवर तरे, ज्यूँ तरवरके पात ।
जन रामा नर देहको तरिबो किती एक बात । ।
भगवान्के नामसे समुद्रके ऊपर पत्थर तैर गये तो मनुष्यका उद्धार हो जाय…इसमें क्या बडी़ बात है ! भगवान्ने उद्धार करनेके लिये ही इसक्रो मनुष्य शरीर दिया । भगवान्ने भरोसा किया कि यह अपना उद्धार करेगा । सज्जनों ! मुफ्तमें बात मिली हुईं है ‘ भगवान्ने जब विचार किया कि यह उद्धार को तो भगवान्की कृपा एवं उनका संकल्प हमारे साथ है । पतनमे हमारा अपना हाथ है, उसमें भगवान्का हाथ नहीं है । उनका संकल्प हमारे उद्धारका है, कितनी भारी मदद है ! सब संत, ग्रन्थ, धर्म, सत्गुरु, सत्-शास्त्र हमारे साथ हैं । ऐसा भगवान्का नाम है । केबल हम थ्रोडी़-सी हाँ-मेँ-हाँ मिला दें । आगे गोस्वामीजी कहते हैं…
जन मन मंजु कज मधुकर से ।
जीह जसोमति हरि हलधर से ।।
ये नाम महाराज भत्तों के मन-रूपी सून्दर कमलमें करनेवाले भौंरेके समान हैं और जीभरूपी यशोदाजीके लिये श्रीकृष्ण और बलराम जीके समान आनन्द देनेवाले हैं । भक्तोंका मन बहुत सुंदर कमलके समान है, उसके ऊपर राम, रामू राम् .नामरुपी भँवरे मँडरा
रहे हैं । ये मनके ऊपर बैठे है । मन है हरदम भगवान के नाम में लगा हुआ है इस कारण भक्तों को दूसरी चीज सुहाती नहीं भगवान में यदि कोई बाधा लगती है तो वह उन्हें सुहाती नहीं है ।