राम नाम मंत्र की बहुत बड़ी महिमा है।
महामंत्र जोई जपत महेसू।
काशी मुकुति हेतु उपदेसू ।।
यह ‘राम’ नाम महामन्त्र है, जिसे ‘महेश्वर’ -… भगवान् शंकर जपते हैं और उनके द्वारा यह ‘ राम ‘ नाम उपदेश काशीमेँ _ मुक्ति का कारण है ।
‘र‘,’आ’ और म इन तीन अक्षरोकि मिलनेसे यह ‘राम’ नाम तो हुआ ‘महामन्श्र ‘ और बाकी दूसरे समी नाम हुए साधारण मन्त्र ।
सात करोड़ मन्त्र है, वे चित्तक्रो भ्रमित करनेवाले है । यह दो अक्षरोंवाला ‘राम’ नाम परम मन्त्र है । यह सब मन्तोमैं श्रेष्ठ मंत्र हैं । सब मंत्र इसके अन्तर्गत्त आ जाते हैँ । कोई भी मन्त्र बाहर नहीं रहता । सब शक्तियाँ इसके अन्तर्गत हैं । यह ‘राम’ नाम काशीमेँ मरनेचालोक्री मुतिस्का हेतु है । भगवान् शंकर मरनेवालोंके कानमें यह ‘राम’ नाम सुनाते है और इसको सुननेसे काशीमे उन जीवोंकी मुक्ति हो जाती है । एक सज्जन कह रहे थे कि काशीमे मरनेवालोका दायॉ’कान `ऊँचा हो जाता है…ऐसा मैंने देखा है । मानो मरते समय दायें कानमेँ भगवान शंकर ‘राम’ नाम मंश्र देते है । इस बिषयमेँ सालगरामजीने भी कहा हैं…
जग में जितेक जड़ जीव जाकी अत्त समय,
जम के जबर जोधा खबर लिये करे ।
काशीपति विश्वनाथ वाराणसी वासिन की,
फाँसी यम नाशन को शासन दिये करे ।।
मेरी प्रजा व्हेके किम पे हैं काल दण्डत्रास,
सालग विचार महेश ‘यहीं हिये करे ।
तारककी भनक पिनाकी यातें प्रानिन के,
प्रानके पयान समय कान में किये करे।
जव प्राणोंका प्रयाण होता है तो उस समय भगवान् शंकर उस प्राणीके कानमे ‘राम’ नाम सुनाते है । वे यह विचार करते हैं कि भगवान से विमुख जीवो की खबर यमराज लेते हैं वे सब को दंड देते हैं परंतु मैं संसार भर का मालिक हूं लोग मुझे विश्वनाथ कहते हैं
और मेरे रहते हुए मेरी इस काशीपुरीमें आकर यमराज दण्ड दे तो यह ठीक नहीं है । अरे भाई किसी को दण्ड या पुरस्कार देना तो मालिकका काम है । राजाकी राजधानीमेँ बाहरसे दूसरा आकर ऐसा काम करे तो राजाक्री पोल निकलती है न ! सरि संसारमे नहीं तो कम-से-कम वाराणसोमें जहाँ मैं बैठा हूँ, यहाँ आकर यमराज दखल दे…यह कैसे हो सकता है ।
काशीमें ‘वरुणा’ और ‘असी’ दोनों नदियाँ गंगाजीमे आकर मिलती हैं । उनके बीचका क्षेत्र ‘वाराणसी’ है । इस क्षेत्रमे मण्डूकमत्स्या: कृमयोउपि काश्यां त्यक्त्वा शरीरं शिवमात्रुवत्ति ।‘ मछली हो या मेढक हो वा अन्य कोई जीब-जन्तु हो, आकाशमे ‘ रहनेवाले हों या जलमें रहनेवाले हो या थलमें रहनेवाले जीव हो, उनको भगवान् शंकर मुक्ति देते हैं । यह है काशीवासकी महिमा !
काशीकी महिमा बहुत विशेष मानी गयी है । यहाँ रहनेवाले यमराजकी फाँसीसे दूर हो जायें, इसके लिये शंकरभगवान हरदम सजग रहते हैँ । मेरो प्रजाको
कालका दण्ड न मिले…ऐसा विचार हृदयमे रखते हैं ।
अध्यात्मरामायणमें भगवान् श्रीरामकी स्तुति करते हुए भगवान् शंकर कहते हैं-जीवोंकी मुक्तिके लिये आपका ‘राम’ नामरूपी जो
स्तवन है, अन्त समयमे मैं इसे उन्हें सुना देता दूँ, जिससे उन जीवोकी मुक्ति हो जाती है।’