विचारों से बनता संसार आध्यात्मिक ज्ञान।
विचारों से बनता संसार।
हमारा संपूर्ण जीवन हमारे विचारों के द्वारा नियंत्रित है । हमारे जैसे विचार होते हैं / हमारी जैसी सोच होती है / हमारी जैसी चिन्तनधारा होती है , वैसी हमारी प्रवृत्ति होती है / जैसी प्रवृत्ति होती है वैसा हमारा व्यवहार होता है और जैसा हमारा व्यवहार होता है वैसा हमारा जीवन बनता है ।
हमारे जीवन का मूल हमारी सोच है मनुष्य का संपूर्ण जीवन उसकी सोच पर केंद्रित है उसकी विचाराधारा पर केंद्रित है । अब ये देखने की जरूरत है कि व्यक्ति की विचारधारा कैसी है । यदि विचाराधारा पवित्र है तो उसके जीवन में पवित्रता है और यदि विचारधारा दूषित है तो उसका जीवन भी दूषित है इसलिए जड़ को पकड़ने की जरूरत है ।
आज व्यक्ति के व्यवहार को देखा जाता है । संत कहते हैं कि व्यवहार तो बहुत बाद की बात है , सबसे पहले उसके विचार को पकड़ने की कोशिश करो कि उसका विचार कैसा है , उसकी विचारधारा कैसी है ? नदी किनारे एक कुम्भकार मिट्टी को आकार दे रहा था , मिट्टी से चिलम बना रहा था ।
अचानक उसका मूड बदला और उसने चिलम की जगह घड़ा बनाना शुरू कर दिया । पास बैठी कुम्हारिन ने कुम्हार से पूछा कि मिट्टी का आकार क्यों बदल गया ? कुम्हान ने कहा , बस यूँ ही मेरा विचार बदल गया , माटी ने तपाक से कहा तुम्हारा विचार क्या बदला मेरा तो संसार बदल गया ।
विचार से संसार है । एक विचार है जो हमारे जीवन का उत्कर्ष करता है और एक विचार है जो हमें रसातल में ले जाता है । विचारों के बल पर ही व्यक्ति मुक्ति का मार्ग खोजता है और विचारों के बल पर ही व्यक्ति नरक का पात्र बनाता है दोनों चीजें विचार के ऊपर निर्भर हैं । मिट्टी के मंगल कलश में और चिलम में जमीन आसमान का अंतर है ।मंगल कलश जहां मंगल द्रव्यों से चर्चित होकर माथे की शोभा बनता है , मांगलिक प्रतीक बनता है , वहीं चिलम का काम है स्वयं जलना और सामने
वाले को जलाना । जो स्वयं जले और सामने वाले को जलाये वह चिलम है । संसार में भी ऐसे ही दो तरह के लोग हैं , जो मिट्टी के माग से मंगल कलश का रूप धारण करते हैं और सारे जगत के लिये आदर्श बनते हैं वे पूरी मानवता के लिये आदर्श बन जाते हैं जबकि कुछ ऐसे भी लोग हैं जो चिलम की तरह स्वयं जलते हैं और सारे संसार को जलाते रहते हैं ।
संत कहते हैं कि जीवन के मर्मों को पहचानने की कोशिश करो , अपनी विचारधारा की इस भूमिका को समझने की कोशिश करो ।
हमारे जीवन में जो कुछ भी है वह सब हमारे विचारों पर निर्भर करता है , हमारे विचार जैसे हैं , वैसा हमारा संसार है । यदि सद्विचार होंगे तो हमारा संसार अच्छा होगा और विचार अगर गलत होंगे तो हमारा संसार भी बिगड़ जायेगा ।