करउँ सदा तिन्ह कै “रखवारी । आध्यात्मिक ज्ञान
~~श्री हरि ~~
अरण्यकाण्डमेँ ऐसा वर्णन आया है… श्रीरामजी लक्ष्मणजीके सहित, सीताजीके वियोगमें घूम रहे थे । वे घूमते घूमते पम्पा सरोबर पहुंच गये । तो नारदजीके मनमेँ बात आयी कि मेरे शापको स्वीकार करके भगवान् स्त्री वियोगमें घूम रहे हैं ‘ । उन्होंने देखा कि अभी बडा सुंन्दर मौका है, एकान्त है “ । इस समय जकर पूछें, बात करे। नारदजीने भगवान ऐसा शाप दिया किं आपने मेरा विवाह नहीं होने दिया तो आप भी स्त्रीके लिये रोते फिरोगे । भगवान ने शाप स्वीकार कर लिया, परंतु नारदजीका अहित नहीँ होने दिया ।
यहां नारदजीने पूछा-‘महाराज ! उस समय आपने मेरा विवाह क्यों नहीं होने दिया ? ‘ तो भगवान कहा‘ भैया ! एक मेरे ज्ञानी भक्त होते हैं और दूसरे छोटे ‘दास’ भक्त होते हैं; परंतु उन दासोंकी, प्यारे भक्तों की मैं रखवाली करता हूँ।’.
करउँ सदा तिन्ह कै “रखवारी । जिमि बालक रांखइ महतारी।।
मोरे प्रौढ तनय सम ग्यानी । बालक सुत सम दास अमानी।।
ज्ञानी भक्त बड़े बेटे हैँ । अमानी भक्त छोटे बालकके समान हैं जैसे, छोटे बालक का माँ विशेष ध्यान रखती है कि यह कहीं साँप, बिच्छु , काँटा न पकड़ ले, कहीं गिर न जाय । वह उसकी विशेष निगाह रखती है, ऐसे ही मैं अपने दासोको निगाह रखता हूँ । माँप्यारसे बच्चेको
खिलाती-पिलाती है, प्यार करती है, गोदमेँ लेती है । परंतु बच्चेको नुकसानवाली कोई बात नहीं करने देती । अपने मनकी बात न करने देनेसे बच्चा कमी-कभी क्या करता है कि गुस्सेमें आकर माँके स्तनको मुँहमे लेते समय काट लेता है, फिर भी माँ उसके मनको बात नहीं होने देती । माँ इतनी हितैषिणी होती है कि उसका स्तन काटनेपर भी बालक पर स्नेह रखती है, गुस्सा नहीं करती । वह तो फिर भी दूध पिलाती है । वह उसकी परवाह नहीं करती और अहित नहीं होने देती ।
इसी तरह भगवान ने नारद जी के मन की बात नहीं होने दी तो उन्होंने भगवान को हि शाप दे दिया छोटे बालक ही तो ठहरे काट गए फिर भी मां प्यार करती हैं और थप्पड़ भी देती है तो प्यार भरे हाथ से देती है मां गुस्सा नहीं करती है कि काटता क्यों है वैसे ही पहले नारद जी ने शाप तो दे दिया परंतु फिर पश्चाताप करके बोले प्रभु मेरा व्यर्थ हो जाए मेरी गलती हुई मुझे माफ कर दो भगवान ने कहा मम इच्छा कहां दीनदयाला मेरी ऐसी ही इच्छा थी भगवान इस प्रकार कृपा करते हैं पम्पा सरोवर पर भगवान की वाणी सुनकर नारदजी को लगा कि भगवान प्रसन्न है अभी मौका है तब बोले कि मुझे एक वर दीजिए भगवान बोले कहो भाई क्या वरदान चाहते हो नारद जी ने कहा।