बंदउँ नाम राम रघुवर को। आध्यामिक ज्ञान।

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जब लग गज अपनो बल बरत्यो नेक सरयो नहीं काम।
निर्बल हाय बलराम पुकारो आयो आधे नाम।।
जैसे गजराज ने पूरा नाम ही उच्चारण नहीं किया उसने केबल है ना……(था)’आधा नाम लेकर पुकारा उतने में भगवान ने आकर रक्षा कर दी
 शास्त्रीय विधियों की इतनी आवश्यकता नहीं है जितनी इस तरह आर्त होकर पुकार ने की है इसलिए आर्त होकर दुखी होकर भगवान को अपना मान कर पुकारे और केवल उनका ही भरोसा उनकी ही आशा उनका ही विश्वास रखें और सब तरफ से मन हटा कर उनका ही नाम ले और उनको ही पुकारे हे राम राम राम आर्त  का भाव तेज होता है इससे भगवान उसकी तरफ खींच जाते हैं और उस उसके सामने प्रकट हो जाते हैं तभी तो भगवान पहलाद के लिए खंभे में से प्रकट हो गए भीतर का जो
आर्त भाव होता है वही मुख्य होता है राम नाम उच्चारण करने की बड़ी भारी महिमा है उस राम नाम का प्रकरण रामचरितमानस में बड़े विलक्षण ढंग से आया है।
बंदउँ नाम राम रघुवर को।
हेतु कृसानु भानु हिमकर  को।।
नाम की वंदना करते हुए श्री गोस्वामी जी महाराज कहते हैं कि मैं रघुवंश में श्रेष्ठ श्री रघुनाथ जी के उस राम नाम की वंदना करता हूं जो किसा
कृसानु(अग्नि) भानुुुु
(सूर्य) और हिमकर( चंद्रमा )का हेतु अर्थात बीज है। बीच में क्या होता है? बीच में सब गुण होते हैं  वृक्ष हाल में जो रस होता है वह सब रस बीच में ही होता है बीज से ही सारे वृक्ष को तथा फल को रस मिलता है अग्नि वंश में परशुराम जी सूर्यवंश में राम जी और चंद्रवंश में बलराम जी इस प्रकार तीनों वर्षों में ही भगवान ने अवतार लिए यह तीनों अवतार राम नाम वाले हैं पर श्री रघुनाथ जी महाराज का जो राम नाम है वह इन सब का कारण है मैं रघुनाथ जी महाराज के उसी राम नाम की वंदना करता हूं जो अग्नि का बीज रा सूर्य का बीज और चश्मा का बीजना है राम नाम के राम और मां यह तीनों अवयव हैं इन अभी हम अवयवों का वर्णन करने के लिए कृसानु  भानु और हिमकर यह तीन शब्द दिए है यहां यह तीनों शब्द्द बड़े विचित्रर एवं विलक्षण रीतिसे दिए गए हैं कृसानु में ऋ भानु में आ और  जिि हिमकर में म है कृसानु शब्द में ऋ को निकाल दे तो क्सानु शब्द बचेगा जिसका कोई अर्थ नहीं है भानु शब्द में से आ निकाल दे तो भ्रू का भी कोई अर्थ नहीं होगा ऐसेे ही  हिमकर शब्द में से म  को निकाल दे तो हीकर का भी कोई अर्थ नहीं निकलेगा अर्थात कृसानु भानु हिमकर ये तीनों मुर्दे की तरह हो जाएंगे क्योंकि इनमें राम ही निकल गया इनके साथ राम नाम रहने से  क्सानु का अर्थ करना सानु का अर्थ शिखर है ऐसे हीभानुमें भा नाम प्रकाश का और नु नाम निश्चय का है और हिमकर मैं हिम नाम बर्फ का है और कर नाम हाथ का है इन तीनों ए  नाम ही है इस प्रकार सब अक्षरों में राम नाम  प्राण है कृसानु भानु और हिमकर इन तीनों में से राम नाम निकाल देने पर वे कुछ काम के नहीं रहते है उनमें कुछ भी तथ्य नहीं रहता । यहां नाम के तीनों आव्यवो को बताने का तात्पर्य यह है कि रामनाम जपने से साधक के पापो का नाश होता है अज्ञान का नाश होता है और अंधकार दूर होकर प्रकाश हो जाता है अशांति संताप जल न आदि मिलकर शांति की प्राप्ति हो जाती है ऐसा जो रघुनाथ जी महाराज राम नाम है उसकी मैं वंदना करता हूं आप आगे गोस्वामी जी महाराज कहते हैं

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