पांडवों के पूर्वज ययाति और विदुर की कहानी।

Spread the love

पांडवों के पूर्वज ययाति और विदुर की रोमांचक कहानी।

                               

 



 

                    ययाति

ययाति पांडवों के पूर्वज थे । वह बड़े पराक्रमी और वीर थे । वह शास्त्रों का अनुसरण करते थे और सदैव अपनी प्रजा के कल्याण के उपाय सोचते रहते थे । शुक्राचार्य के शाप के कारण वह असमय वृद्ध हो गए । वृद्धावस्था के कारण उनका सुगठित शरीर क्षीण हो गया और उन्हें अनेक व्याधियों ने घेर लिया ।

तथापि , ययाति की जीवन का आनन्द लेने की , सुख भोग करने की इच्छा तृप्त नहीं हुई थी । ययाति के सुदर्शन व्यक्तित्व से सम्पन्न , कुशल एवं सद्गुणी पांच पुत्र थे । ययाति ने उन्हें बुलाया और अत्यन्त करुण स्वर में कहा , “ तुम्हारे नाना के शाप के कारण मैं असमय ही वृद्ध और कमजोर हो गया हूं ।

मैं जीवन का पूरा आनंद नहीं ले सका हूं । तुम में से किसी को अपना यौवन मुझे देकर मेरी वृद्धावस्था ले लेनी चाहिए । जो अपना यौवन मुझे देकर मेरी वृद्धावस्था ले लेगा वही मेरे राज्य का अधिकारी होगा । में कुछ समय तक सुख भोग का आनंद लेने के बाद लिया हुआ यौवन लौटा दूंगा और अपनी वृद्धावस्था वापस ले लूंगा ।

” उसने सबसे पहले अपने ज्येष्ठ पुत्र को अपनी इच्छा बताई । पुत्र ने उत्तर दिया , “ राजन ! अगर मैं आपकी वृद्धावस्था ले लेता हूं तो औरतें और सेवक मेरा उपहास करेंगे । कृपा करके छोटे भाई से पूछिए जो आपको मुझसे अधिक प्रिय है ।

” जब दूसरे भाई से पूछा गया तो उसने नम्रता पूर्वक मना करते हुए उत्तर दिया , “ पिताजी वृद्धावस्था न केवल शरीर को बल्कि बुद्धि को नष्ट कर देती है । वृद्धावस्था में मेरे शरीर पर झुर्रियां पड़ जाएंगी और मैं दुर्बल और शिथिल हो जाऊंगा । अत : मैं आपको अपना यौवन नहीं दे सकता । ”

तीसरे पुत्र ने उत्तर दिया , “ वृद्ध आदमी घोड़े और हाथी पर नहीं चढ़ सकता । उसकी जबान लड़खड़ाती है । अत : मैं आपको अपना यौवन नहीं दे सकता । ” चौथे पुत्र ने कहा “ वृद्ध बच्चों की तरह आचरण करता है । उसे अपने हर कार्य के लिए दूसरे की मदद लेनी पड़ती है ।

यद्यपि मैं आपको बहुत प्यार करता हूं मैं बुढ़ापा लेने को तैयार नहीं हूं । ” ययाति को अपने चार पुत्रों का उत्तर सुनकर अत्यन्त निराशा हुई । फिर भी उसकी आशा समाप्त नहीं हुई । उसने अपने पांचवें पुत्र से कहा , “ तुम्हें मेरी सहायता करनी चाहिए । मैं असमय में वृद्धावस्था के कारण जर्जर और कमजोर हो गया हूं ।

मेरे बाल सफेद हो गए हैं । मेरे लिए यह समय अत्यन्त कष्टदायक है । अगर तुम मेरी इन व्याधियों को ले लो तो मैं कुछ और समय तक जीवन का आनंद और ले सकूंगा । फिर मैं तुम्हारा यौवन तुम्हें लौटा दूंगा । ” सबसे छोटे पुत्र पुरु ने उत्तर दिया , ” पिताजी मैं सहर्ष अपना यौवन आपको प्रदान करके वृद्धावस्था की व्याधियों से मुक्त कराता हूं ।

” यह सुनकर ययाति ने उसे गले लगा लिया । ययाति ने जैसे ही अपने पुत्र को छुआ वे फिर से जवान हो गए । इसके बाद ययाति ने काफी समय तक सांसारिक भोग विलास किया । तथापि , उन्हें हमेशा यह भय

सताता था कि एक दिन उन्हें अपनी यह जवानी पुत्र को लौटानी होगी । उन्होंने जीभर अपनी इच्छाएं पूरी की । इस पर भी जब उनकी संतुष्टि नहीं हुई तो वह कुबेर के उद्यान में गए । वहां उन्होंने एक अप्सरा के साथ अनेक वर्ष बिताए । इस प्रकार वर्षों विषय भोग में जीवन बिताने के बाद भी जब उसकी तृप्ति नहीं हुई तो उन्होंने इस महान सत्य को समझा कि भोग विलास की प्यास कभी नहीं बुझती है ।

धरती का समस्त धन – धान्य , सुवर्ण और सुन्दर स्त्रियां मनुष्य की इच्छा आकांक्षा पूरी करने के लिए काफी नहीं है । अतः मनुष्य को अपनी इच्छाओं का दमन करना चाहिए । उनका त्याग करना चाहिए । यह समझने के बाद ययाति ने अपने पुत्र पुरु से कहा , ” पुत्र तुम्हारा भला हो । अब तुम अपनी जवानी ले लो और साथ ही राज्य भी अपने अधिकार में कर लो । इसके बाद पुत्र को राज्य देकर ययाति ने वनवास ग्रहण किया ।

. विदुर पुराने जमाने में एक महात्मा थे , मांडव्य धैर्यवान , सत्यनिष्ठ और तपस्वी ।

                     विदुर 

पुराने जमाने में एक महात्मा थे , मांडव्य धैर्यवान , सत्यनिष्ठ और तपस्वी । उनका सारा समय ईश्वर की आराधना में बीतता था । उन्होंने वेदों , वेदान्त और शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त कर लिया था । ईश्वर के चिन्तन मनन में मांडव्य अपनी सुध बुध खो बैठते थे । एक दिन जब वह इसी तरह अपने घर के बाहर चुपचाप ध्यानमग्न थे , उधर से कुछ चोर गुजरे मांडव्य की कुटिया में अपना लूट का माल छिपाकर वे स्वयं भी वहीं छिप गए । राजा के सिपाही उनका पीछा कर रहे थे ।

सिपाहियों के नायक ने मांडव्य से पूछा , ” क्या तुमने इधर से चोरों को जाते देखा ? जल्दी उत्तर दो , हम उनका पीछा करेंगे । ” मांडव्य अपनी साधना में मग्न थे । उन्होंने नायक की बात सुनी नहीं । अतः उसे कोई उत्तर नहीं दिया । इस बीच सिपाही मांडव्य की कुटिया से लूट का माल लेकर नायक के पास आए ।

नायक ने सोचा यह आदमी चोर है । तभी इसने गूंगा बनने का नाटक किया । उसने सिपाहियों से मांडव्य की रखवाली करने को कहा और खुद वह राजा के पास आदेश लेने के लिए गया । उसने राजा को बताया कोठरी में लूट का माल छिपाकर चोरों का सरदार घर के बाहर साधू बनने का ढोंग कर रहा था ।

राजा ने हुक्म दिया कि चोर के शरीर में मेख गाड़कर उसे सूली पर लटका दिया जाए । राजा के सिपाहियों ने मांडव्य के शरीर में मेख गाड़कर उन्हें लटका दिया । मांडव्य योगावस्था में थे । अतः उन्हें इसका पता भी नहीं चला और उनके प्राण नहीं गए ।

बाद में जब उन्हें चेत आया और आस पास रहने वाले साधु सन्यासियों ने उन्हें देखा तो उनसे पूछा कि उनकी यह दशा कैसे हुई ? मांडव्य ने उत्तर दिया , “ राजा के सिपाहियों ने , जिन पर लोगों की रक्षा का भार है , मेरी यह दशा की है । ”

जब राजा को सारी घटना का पता लगा तो वह डरा और मांडव्य के पास जाकर उसने पहले उनको सूली से उतारा और फिर उनसे क्षमा मांगी । मांडव्य को राजा से कोई शिकायत नहीं थी । वह सीधे धर्म के पास गए और उन्होंने धर्म से पूछा मैंने क्या अपराध किया था जो मुझे यह दारुण वेदना भोगनी पड़ी ।

धर्म ने बड़ी नम्रता से उत्तर दिया , “ आपने चिड़ियों और मधु मक्यिों को कष्ट पहुंचाया था । उसके कारण आपको यह सजा भुगतनी पड़ी । ” मांडव्य यह उत्तर सुनकर आश्चर्य में पड़ गए । उन्होंने पूछा , ‘ मैंने यह अपराध कब किया था ? ” धर्म ने उत्तर दिया , ‘ जब आप बालक थे । ‘ मांडव्य ने तब धर्म को शाप दिया ।

तुमने एक बालक द्वारा अज्ञानता में किए गए नगण्य अपराध के लिए इतनी बड़ी सजा दी इसलिए तुम मृत्यु लोक में जन्म लो । इस तरह मांडव्य के शाप के कारण धर्म को धरती पर विदुर के रूप में जन्म लेना पड़ा । तथापि , मनुष्य योनि में भी विदुर धर्म के अवतार थे ।

उन्हें धर्म और शास्त्रों का अगाध ज्ञान था । उनको किसी प्रकार का मोह नहीं था और उन्हें क्रोध भी नहीं आता था । भीष्म ने उनको किशोरावस्था में ही धृतराष्ट्र का मंत्री नियुक्त किया ।

महाभारत के रचयिता वेदव्यास के अनुसार तीनों लोकों में कोई भी व्यक्ति सद्गुणों और ज्ञान में विदुर की बराबरी नहीं कर सकता था । जब धृतराष्ट्र ने दुर्योधन और शकुनी की सलाह पर पांडवों को जुआ ( पासें ) खेलने का निमंत्रण दिया तो विदुर ने उसका जबरदस्त विरोध किया । उसने कहा कि इसके विनाशक नतीजे होंगे ।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

1 Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *