छूटती नहीं बुराई , मुँह से लगी हुई ।
छूटती नहीं बुराई , मुँह से लगी हुई । जान बुझकर मूढ़ बनत हैं ।
छूटती नहीं बुराई , मुँह से लगी हुई ।
आज बुरी आदतों की चर्चा मुझे आपसे करनी है । अनेक बुरी आदतें हैं , मैं कहां से बात शुरू करूँ ? देखो , आज मनुष्य के जीवन में ढेर सारी बुराइयां पनपने लगी हैं और उसके दुष्परिणाम को भी लोग भोग रहे हैं । वो बुरी आदतें हम देखें और उस रोकें ।
सबसे पहले मैं नशा की आदत की बात करता हूँ । आज व्यक्ति की नशा करने की आदत हो गयी है । नशा करने वाला आदमी चाहे शराब पीता हो , चाहे धूम्रपान करता हो , चाहे गुटखा मसाला खाता हो , चाहे किसी ड्रग का एडिक्ट हो , जिनको नशा की आदत है वे इसके बिना रह नहीं पाते ।
लेकिन यह तय है कि जब व्यक्ति पहली बार नशा करता है तो बहुत तकलीफ होती है , पर वह उस तकलीफ को अनदेखा कर देता है । दूसरी बार लेता है , तीसरी बार लेता है । धीरे – धीरे , धीरे – धीरे वह नशा का आदी हो जाता है । लोग कहते हैं कि लोग शराब पीने से बेहोश हो जाते हैं ।
जो शराब पीता है वह बेहोश हो जाता है । मैं कहता हूँ । कि जो बेहोश होता है वही शराब पीता है । जिसे होश है वह कभी शराब पी ही नहीं सकता । जो व्यक्ति शराब और उसके दुष्परिणामों को जानता है वह भूलकर भी शराब को हाथ नहीं लगा सकता । सब कुछ मानने के बाद भी यदि कोई शराब पीता है तो मैं उसे बेहोश ही मानता हूँ ।
उसे होश नहीं , समझ नहीं है , अपने जीवन के प्रति जागरुकता नहीं । आदमी पहले शराब की बोतल पीता है , बाद में बोतल आदमी को पी जाती है । जिंदगी भर वो छूट नहीं पाती । एक आदमी , जो नित्य शराब पीने का आदी था , मेरे संपर्क में आया ।
सुबह से उसको शराब पीना होता था , बिना शराब पिये उससे एक पल रहा नहीं जाता था । मैंने कहा कि भैया तुम शराब क्यों पीते हो ? उसने कहा महाराज , मैं शराब नहीं पी रहा हूँ | शराब ने मुझे पी लिया , अब तो लगता है कि इस पर्याय में यह छूटने वाली नहीं जान रहा है लेकिन वो कह रहा है कि यूँ छूटने वाली नहीं , एक बार आदत पड़ गयी तो बहुत कठिनाई होती है ।
, कम उम्र के इस दौर में उनके जीवन में किसी बुरी आदत का प्रवेश नहीं हुआ होगा । पर मैं कहना चाहता हूँ कि सावधान हो जाओ , एक बार आदत अगर प्रविष्ट हो गयी तो उससे बाहर निकलना बहुत मुश्किल होता है । देख लो उनको जो बुरी आदतों के शिकार हैं । उनकी जिंदगी की दशा कितनी दयनीय हो गयी और अपने लिए एक नसीहत ले लो ।
आज अपने मन में ऐसा दृढ़ संकल्प ले लो कि मैं अपने जीवन में ऐसी आदतों को कभी पनपने नहीं दूंगा जो मेरे जीवन का सर्वनाश करती हो , जो मेरे जीवन की बर्बादी करती हो , जिससे मेरी चेतना का पतन होता हो । आज दुनियां में जितने भी अपराध होते हैं । उसमें नब्बे प्रतिशत अपराध का संबंध शराब के साथ होता है ।
विश्लेषक कहते हैं कि शराब और अपराध का चोली – दामन का संबंध है । जहां मद्यपान होता है वहां अन्य प्रकार के अपराध होते ही होते हैं । शराब की आदत से व्यक्ति को बचना चाहिए और इससे बचने के लिए एक ही काम उन्हें करना है , उन्हें देखो जो शराब पीने के आदी हैं और शराब पीने के कारण उनके घर की कहानी क्या है ?
उनके घर की कहानी क्या है और उनका जीवन कितना ज्यादा असंतुलित और अशांत है , उनको देखने की कोशिश करो और अपने आपको उससे बचाने का प्रयास करो । ये बहुत खतरनाक चीज है । इससे बचना चाहिए ।
जान बुझकर मूढ़ बनत हैं ।
धूम्रपान करने वाले धूम्रपान करते हैं , धुआं उड़ा रहे हैं , जान रहे हैं कि कैंसर का कारण है , फिर भी धूम्रपान कर रहे हैं । गुटखा खा रहे हैं जान रहे हैं कि पान मसाला मौत का निवाला है वह मौत मसाला बन रहा है । गुटखा खायेंगे , वह मेरी जिंदगी को गुटक कर खा जायेगा ।
कैंसर का डर है लेकिन इसके बाद भी विवेकी इनसे बचने को तैयार नहीं होता । इसी को बोलते हैं आदत । आज व्यक्ति पढ़ लिख जाता है । पढ़ा लिखा होने के बाद भी व्यक्ति इन सब आदतों को छोड़ नहीं पाता तो मुझे लगता है कि उसका पढ़ा – लिखा होना व्यर्थ है ।
मेरे पास एक बार कुछ युवक बैठे थे । एक महानगर में मैं था और वो सारे युवक चार्टडे एकाउंटेंट थे । सब के सबस गुटखा खाने के आदी थे । उसमें से एक युवक को तलब लगी , मुझसे चर्चा करके बीच में बाहर गया और पाउच मसाला खाकर आ गया ।
मुँह में डला है लेकिन मेरे पास आ गया । मुझे अटपटा लगा , मैंने कहा कि क्या हुआ , , बोला कुछ नहीं । मैंने कहा एक काम करो कि पाउच लेकर आओ । वही पाउच लेकर आओ । बोला क्यों , मैंने कहा लेकर के तो आओ । वह मेरी बात को टाल नहीं सका ।
बाहर फेंका हुआ पाउच लेकर आया मैंने उसको उसके सामने रखकर उससे कहा कि देखो इस पर क्या लिखा है ? पढ़ो , पढ़ो , इसमें क्या लिखा है ? उसमें लिखा था कि तंबाकू और पान मसाला चबाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और चित्र बना हुआ था डेंजर का ।
हमने कहा कि तुम तो चार्टडे एकाउण्टेण्ट हो ना , पढ़े – लिखे हो न , क्या मतलब है तुम्हारे पढ़े – लिखे होने का कि जो एकदम साफ – साफ अक्षरों में लिखा हुआ है कि यह व्यक्ति के लिए घातक है , ये उसके लिए जानलेवा है , उसके बाद भी मुँह में लगा रहे हो , तो तुम से अच्छा वह निरक्षर है ।
ऐसे पढ़े लिखे लोग किस काम के जो जान के भी अनजान बने हुए हैं । हैं कि नहीं । ऐसे बहुत सारे पढ़े – लिखे लोग होंगे , जो अपने आपको शिक्षित मानते हैं , अपने आपको बड़े एडवांस मानते हैं लेकिन क्या उनको पढ़ने में नहीं आता , उन्हें ये देखने में नहीं आता कि जो चीज मैं ग्रहण कर रहा हूँ वो मेरे लिए जानलेवा है ।
मैंने कहा कि धिक्कार है तुमको , तुम चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट कहलाते हो लेकिन तुम्हें कुछ भी नहीं आता । इससे अच्छा अंगूठा छाप आदमी है , जिसे अपने जीवन की वास्तविकता का बोध तो । बंधुओ दो तरह के लोग होते हैं ।
मूर्ख लोग होते हैं और मूढ़ लोग होते हैं । मूर्ख वो होता है जिसे अक्षर का ज्ञान नहीं है और मूढ़ वो है जिसे अपने हित का ज्ञान नहीं है , जो जानकर भी अनजान बन जाए , वो मूढ़ है और आज की दुनिया मूढ़ों की जमात बनी हुई है । जो सब जानते हुए अनजान बनी हुई हैं ।
जब तक अपने भीतर की मूढ़ता को छोड़ोगे नहीं , तब तक जीवन में परिवर्तन नहीं आयेगा । मेरे कहने का प्रभाव पड़ा , पाँचों ने कान पकड़ लिये कि आज के बाद गुटखा तंबाकू कभी नहीं खाऊँगा और बंधुओ , ऐसे कितने लोग हैं जो रोज इन चीजों के आदी हो गये ?
आदत ने भिखारी बना दिया ।
आदी होने का असर कैसा होता है ? मैं सम्मेदशिखर जी की वंदना कर रहा था । पारसनाथ भगवान की टोंक पर जब मैं दर्शन कर रहा था , वहीं एक कपल था । शादी कुछ ही दिन पहले हुई होगी । पत्नी के पति से कहा कि आज से आप गुटखा मसाला छोड़ दो ।
पत्नी के कहने पर कि इतने बड़े तीर्थ क्षेत्र पर आये हो , गुटखा मसाला छोड़ दो , उसने छोड़ दिया । मैं दर्शन कर रहा था । वहां थोड़ी देर अपना ध्यान किया । करीब – करीब चालीस मिनिट बाद मैं नीचे उतरा तब नीचे उतरते ही टोंक के नीचे वह युवक मुझे दिख गया ।
नाश्ता – पानी करके निकल रहा होगा । मुझे भी उतरना था , वो उतरने की शुरूआत कर रहा था वहीं मिल गया । मैंने देखा कि एक डोलीवाला खैनी ठोक रहा था । उसने उसके आगे हाथ फैला दिया । मैंने देखा , बोला क्यों इतनी जल्दी बन गये भिखारी ।
तुम कहने को करोड़पति हो लेकिन डोलीवाले के आगे हाथ फैला रहे हो । ऊपर पारसनाथ भगवान के सामने सौगन्ध खायी थी कि आज से गुटखा मसाला नहीं खाऊंगा और नीचे आते ही खैनी के लिए हाथ फैला दिया । बोला महाराज , मैंने गुटखा मसाला छोड़ा था , खैनी नहीं छोड़ी थी ।
जो तुमको भिखारी बना दे , वो है बुरी आदत । करोड़पति को भी भिखारी बना दे , वो बुरी आदत । केवल बाहर से ही नहीं भीतर से भी दरिद्र बना दे वो है बुरी आदत । उस दरिद्रता से अपने आपको बचने और बचाने की कोशिश करनी चाहिए । तब आप अपने जीवन में कुछ सार्थक उपलब्धि घटित कर सकोगे , अन्यथा नहीं । बंधुओं यह बहुत खतरनाक चीज है ।