गुण ग्रहण का भाव रहे नित।वर्तमान ।

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गुण ग्रहण का भाव रहे नित।वर्तमान ” की चाभी “ भविष्य ” का ताला ।


 

गुण का भाव नीत

 अच्छी तरह से वर्गीकृत है। प्रोबेशन की गुणवत्ता आपकी दृष्टि पर विशेष। अवैगुनी गुण विशेष रूप से सक्षम होने पर भी दोष होगा। 

संत कहते हैं कि दोष देखने से जीवन दूषित होता है और गुण देखने से जीवन में गुणों का उत्कर्ष होता है। गुणों के गुणन गुणों से युक्त होने की स्थिति में भी यह गुण गुणन गुणों से युक्त होता है। गांधी जी को एक-एक कार्ड पर लिखा गया था। 

पत्र में गांधीजी की घटना की आलोचना की। गांधीजी ने सहज भाव से . और उसके बाद एक घड़ी दी गई। बैठक में मित्रा , अन्नेत्र – क्या बात है ? एकाग्र के साथ आप पत्र को । 

इस पत्र में कोई खास बात नहीं है। कोई बात नहीं है। ये कुछ था जो बोलता है। रक्षा किसी पत्र पर अभिभाषण में आया हूँ । ये अच्छी तरह से देखने की बैठक ।

 स्वस्थ होने के लिए यह अच्छी तरह से चालू हो सकता है।

 वर्तमान ” की चाभी ” भविष्य ” का
 

पांचवी बात है कि आप अपने जीवन को सुखी बनाना चाहते हैं, तो भविष्य में यह कल्पना में बदल जाएगा . अपनी चिंता पर प्रतिक्रिया करें । ठीक है , जैसा है, ठीक है, असंतोषजनक है। ताली बजाने की क्रिया के दौरान। 

यदि आप वर्तमान में जीने के अभ्यासी हो जाते हैं तो आपका जीवन कोई दुखी नहीं कर सकता और अगर आप इधर – उधर की चिंता एवं चाहतें अपने मन में पाल लेते हैं तो आप अपना जीवन कभी सुखी नहीं कर सकते ।

किसी सूक्तिकार ने कितनी सुंदर बात कही है


 गते शोको न कर्त्तव्यों भविष्यन्नैव चिन्तयेत् ,
 वर्तमानेन कालेन वर्तयन्ति च विचक्षणाः । 


लोग चाहते हैं अपने जीवन को सुखी बनाना , लेकिन लोग व्यर्थ में अपने जीवन में दुखों को आमंत्रित कर लेते हैं । विचार करो , तुम्हारे जीवन में दुख क्यों आते हैं ? दुख में एक बहुत बड़ा कारण है , कल की चिंता , कल क्या होगा ? कल

की व्यवस्था के लिए आज संभल जाना समझदारी है और कल की व्यवस्था की चिंता में उलझ जाना बेवकूफी है । आज को संभालो , कल अपने आप उज्जवल होगा । कल की चिंता क्यों करते हो , चिंता करने से किसी चीज का समाधान नहीं मिलता ,

समाधान तब मिलता है जब आपके जीवन में चिंतन होता है । सम्यक चिंतन से जुड़ने की कोशिश कीजिए , सही रास्ते को अपनाने का प्रयत्न कीजिए । निश्चित ही वह आपके जीवन में सार्थक उपलब्धि घटित करेगा । 

सारा खेल आपकी चिंतन की धारा से है । एक चिन्तन है जो आपको उलझाता है और एक चिन्तन है जो आपको सुलझाता है । आपके हाथ में एक चाबी है , चाबी को जब आप दायें घुमाते हैं , ताला खुल जाता है और उसी चाबी को बायें घुमाते हैं , ताला लॉक हो जाता है ।

जिस चाबी से ताला खुलता है , उसी चाबी से ताला बंद भी होता है । यह आपके ऊपर है कि कौन से ताले को खोलना है और कौन से ताले को बंद करना है । यदि आप अपने जीवन को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो नकारात्मकता के ताले को बंद कर दीजिए और सकारात्मकता के ताले को खोल दीजिए , आपकी विचारधारा से ही वह ताला खुलेगा और आपकी विचारधारा से ही वह ताला बंद होगा ।

अब यह आपके ऊपर है कि आप ताले को खोलना चाहते हैं या बंद करना चाहते हैं । सब कुछ हमारे हाथ में है , यदि जीवन को बेहतर बनाना है , तो बेहतर नज़रिये से खुद को भरने की आवश्यकता है । बेहतर नज़रिये का यही सूत्र है- जैसी चिंतन धारा , जैसी सोच , वैसी प्रवृत्ति ।

जैसी प्रवृत्ति वैसा ही जीवन का सारा परिणाम आता है । इसलिए हम सब अपने जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करें , जिससे हमारे जीवन में सुख की , शांति की , समृद्धि की , उपलब्धि हो और हम अपने जीवन को सार्थकता प्रदान कर सकें ।

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