अपना दुख है कितना बौना ? आध्यात्मिक ज्ञान।

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पर की पीड़ा हिमालयी है अपना दुख है कितना बौना ?


दो प्रकार का सुख होता है एक अभिप्राय का सुख , जबकि दूसरा अनुभूति का सुख । अभिप्राय का सुख मनुष्य के स्टेटस पर अवलंबित होता है और अनुभूति का सुख मनुष्य की फीलिंग पर निर्भर करता है ।

आप कौन सा सुख चाहते हैं ? ऊपरी स्टेटस वाला सुख की भीतरी फीलिंग वाला सुख । हो सकता है कि अपना स्टेटस दिखाने के लिए तमाम उपाय करना पड़ें लेकिन वो सही है कि जूता काट रहा है तो उसकी पीड़ा तो आपको भोगनी ही पड़ेगी ।

आपको कभी कभी जूते के काटने की पीड़ा व्यक्ति के सारे शरीर से प्रदर्शित होती दिखाई पड़ती है । जूता काट रहा है ये पीड़ा , उसके भाव व्यक्ति के चेहरे पर आये बिना नहीं रहते , और जो लोग भौतिक सोच से ग्रसित होते हैं , जिनकी दृष्टि ऐसे ही सुखों के पीछे पागल होती है , वे हमेशा दुखी रहते हैं ।

उनका चित्त अपने पास जो है , उस पर केंद्रित न होकर जो नहीं है , उसके पीछे पागल हो जाता है और ऐसा व्यक्ति बहुत दुखी हो जाता है । एक पिता अपने बेटे की जीवन की वास्तविकता का पाठ पढ़ाने के ख्याल से एक गांव में ले गया ।

एक किसान के घर एक दिन और रात रहा । लौटकर आने के बाद पिता ने अपने बेटे से पूछा , तुमने देखा , ये लोग कितने गरीब हैं । गरीबी को तुमने ठीक ढंग से समझा , गरीबी और अमीरी के अंतर को तुमने समझ लिया ? बोला हाँ पिताजी , मैंने समझ लिया । क्या ? बोला मैंने देखा कि हमारे पास एक कुत्ता है उसके पास 4 कुत्ते हैं ।

हमारे घर में एक छोटा सा स्वीमिंग पूल है और उनके लिए नहाने को एक लंबी नदी । हमारे घर के बाहर इम्पोर्टेड लैम्प लगे हैं , उनके लिए आसमान के सितारे । अब इतना ही अमीरी गरीबी का अंतर है और क्या अंतर हो सकता है ।

पिता ने बेटे की सकारात्मकता को देखा और छाती से लगा लिया और बोले बस , यदि तुम अपने जीवन को सुख से भरना चाहते हो , तो हर चीज को इसी नजरिये से देखने की कोशिश करो ।

तुम्हारा नज़रिया जैसा होगा , जीवन वैसा ही होगा । सुखी होना चाहे हो तो यही नज़रिया बनाये रखना । बेहतर जीवन तभी बनेगा जब आपका नज़रिया बेहतर होगा ।

और बेहतर नज़रिया यही है । क्या है बेहतर नज़रिया ? पहली बात दुख में सुख खोजें , दूसरी बात जो है जितना है उसमें संतुष्ट रहें , तीसरी बात बुराई में अच्छाई देखें , चौथी बात गलत दृष्टि न रखें , और पाँचवीं बात वर्तमान में जीना सीखें । यदि ये पाँच बातों को आप अपना लें , तो आपका जीवन सुखी हो जायेगा , आप का जीवन धन्य हो जायेगा ।

दुख दरिया में सुख का मोती

दुख में सुख खोजें कहीं कोई कठिनाई आये तो देखें कि ये जो मेरा दुख है , बहुत कम है , दूसरों से तो बहुत कम है , दूसरे तो इससे भी ज्यादा दुखी हैं , मेरे पास तो कम है । । क्या कम है , दूसरों से तो बहुत कम है , दूसरे तो इससे भी ज्यादा दुखी हैं , मेरे पास तो कम है ।

ये क्या कम उपलब्धि है ? मेरे संपर्क में एक जज साहब थे । उनकी एक बेटी थी , जो जन्म से विकलांग थी । दोनों हाथ , दोनों पैर विचित्र तरीके और उस लड़की की उम्र दिनोंदिन बढ़ती जा रही थी , उसकी सारी चर्या – क्रिया उन्हें अपने हाथों से कराना पड़ती थी ।

एक दिन जब वह मेरे पास दर्शनार्थ आये , तो उनके ही सामने किसी ने कहा कि महाराज जी , इनका जीवन बहुत दुखी है इनकी बेटी विकलांग है , महाराज जी आप आशीर्वाद दें । जज साहब ने जो जवाब दिया वह आप लोगों के लिए बड़ा उपयोगी है ।

उन्होंने कहा कि महाराज , मुझे कोई दुख नहीं है । मैं सोचता हूँ कि मैंने कोई खोटे कर्म किये थे , जिससे ऐसा संयोग मिला । मेरी बेटी विकलांग है , इस बात का मुझे दुख नहीं , मुझे इस बात की खुशी है कि कम से कम बेटी विकलांग ही है चिल्लाती तो नहीं , पागल तो नहीं ।

उसी शहर में एक दूसरा व्यक्ति था उसकी बेटी बहुत चिल्लाती थी और जो जाये उसे काटने की कोशिश करती थी ।

दुख में सुख खोज लो , तुम्हारा दुख दूर हो जायेगा । देखोगे कि तुम बहुत हल्के हो । एक बात का ध्यान रखना कि संसार के जितने भी संयोग है , वे मनुष्य के नसीब से  मिलते हैं । अच्छे हों तो मिलते हैं , बुरे हों तो मिलते हैं । उनको स्वीकार कर लोगे तो दुख भाग जायेगा , उससे प्रतिकार करोगे तो दुख भारी रहेगा ।

स्वीकार करते ही दुख नष्ट हो जाता है । इसलिये जब भी अपने जीवन में कोई प्रसंग आये , उसकी अच्छाई को देखने की कोशिश करना दुख में से सुख खोजने की कोशिश करना , तुम्हारा जीवन धन्य हो जायेगा , तुम्हें ज्यादा कहने अथवा करने की आवश्यकता नहीं होगी । इसलिए अपने जीवन को बेहतर बनाने का पहला सूत्र है , दुख में सुख खोजना ।

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