अन्दर स्याह ऊपर सफेदी।आध्यात्मिक ज्ञान।
अन्दर स्याह ऊपर सफेदी
दूसरी सोच है व्यावहारिक सोच । व्यावहारिक सोच में जीने वाले लोग बहुत हिसाब किताब से जीते हैं । वे हर चीज को मेण्टेन करके चलते हैं कि हमारे व्यवहार का सामने वाले पर कोई बुरा असर न पड़े । वे अच्छा दिखना चाहते हैं ।
यह बात अलग है कि अच्छे बनें या न बनें । अच्छा दिखना चाहते हैं । ऐसे लोगों की सोच / ऐसे लोगों की चिंतनधारा , दूसरों लोगों को सामने अपने को बेहतर साबित करने की होती है , बेहतर बनने की नहीं ।
संत कहते हैं कि बेहतर साबित करने से कोई लाभ नहीं , बेहतर बनने की कोशिश करो , लेकिन आजकल दुनिया के लोगों की मनोवृत्ति बड़ी विचित्र हो गयी है , वे दूसरों के सामने अपने आपको श्रेष्ठ साबित करना चाहते हैं ।
हम दूसरों के सामने बहुत नज़रिया मधुर व विनम्र बने रहना चाहते हैं , लेकिन अंदर क्या है , उसको तो वही व्यक्ति जानता है , जिसके वह क्रिया हो रही होती है । कैसी – कैसी मनोवृत्ति होती है ?
एक कपल था , उसे जानकारी मिली कि एक चमत्कारिक कुआं है । दोनों चमत्कारिक कुआं के पास गये , इस कुएं के बारे में ऐसी मान्यता थी कि कुएं में जो भी चाहो वह मिल जाता था । मनोकामना की पूर्ति होती थी ।
उस कुएं में जाकर झांक लो , उस की पूर्ति हो जाती थी । दोनों पहुंचे , सबसे पहले पति ने कुएं में झांका और कुछ मनोकामना की । बाहर आकर वापस खड़ा हुआ , अब पत्नी की बारी थी । पत्नी कुएं में झांकी , ज्यादा झुक गयी और नीचे गिर गयी ।
पत्नी को नीचे गिरते देख पति बोला- भगवान ये थोड़ा मालूम था कि मनोकामना इतनी जल्दी पूरी होती है । यह व्यावहारिक सोच है लोगों की स्थिति होती है कि ऊपर से तो बहुत अच्छे बने रहते हैं और भीतर ही भीतर कुछ और घटित होता रहता है ।
यह सोच भी बहुत अच्छी सोच नहीं है । व्यावहारिक बनिये , लेकिन मतलबी नहीं । व्यवहार में विनम्रता रखिये , लेकिन अपने सिद्धांतों पर दृढ़ रहिये , सिद्धांत को कतई मत खोइये । तब आप जीवन में कुछ अर्जित कर सकेंगे , यह व्यावहारिक सोच है , स्तरीय सोच नहीं मानी जा सकती है । लेकिन सबसे अच्छी सोच आध्यात्मिक सोच है ।