चिन्तन करे चित्त रखवाली आध्यात्मिक ज्ञान।
चिन्तन करे चित्त रखवाली ।
सही चिंतन करें और नित्य आप एक कोने में बैठकर के चिन्तर करें । जब आप बिस्तर पर जायें उस समय मन में कुछ पल के लिये विचार करें कि आज सुबह से शाम तक मैंने जो कुछ भी किया उसमें कितना करणीय था कितना अकरणीय था ? क्या था जिससे मैं बच भी सकता था ।
जो मैंने किया उसमें कहां संशोधन किया जाना आवश्यक था ? जो कुछ भी अच्छाईयां हैं उनके प्रति आप अपने मन में दृढ़ता लायें कि मेरे जीवन में ऐसी अच्छाईयां पुष्ट होती रहें ।
दिन भर में जो कुछ बुराईयां करने में आयी हैं उसके लिये आप अपनी निंदा करें , अपने मन को कोसें कि ऐसी बुराई अब मैं दुबारा नहीं करूँगा इसकी पुनरावृत्ति नहीं होने दूंगा और अब जब कभी भी बुराई आये भी मैं उसके प्रति सावधान रहूँगा ।
आपके इस चिंतन से आपके संस्कार पुष्ट होंगे , अच्छाईयों के प्रति आपके मन में उत्साह जगेगा और बुराईयां के प्रति सावधानी और सजगता प्रकट होगी और यही व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन का मूल तत्व है ।
अच्छाईयाँ प्रकट हों बुराईयां शांत हों , सद्वृत्तियों का प्रादुर्भाव हो असवृत्तियां सीमित हों , हमारा जीवन उससे धन्य होगा और कोई रास्ता नहीं । ये चिंतन हमारे अंदर होना ही चाहिये ।
मनोविज्ञान के ज्ञाता कहते हैं कि मनुष्य के सबकान्शस मन में जैसी वृत्तियां बनी रहती हैं वही उसके चेतन मन के माध्यम से उभरती हैं और वो उसकी प्रवृत्तियों को बनाती हैं ।
जन्म जन्मान्तरों से कुसंस्कारों की परत हमारे मस्तिष्क में जमी हुयी है । हमारे सब सबकांशस मन में उसका प्रभाव जमा हुआ है उसको दूर करने के लिये चाहिये कि हम उसमें अच्छे संस्कारों का समारोपण करें , अच्छे विचारों को उसमें पुष्ट करें तो वे सब दिनोंदिन बलवती होंगी और वो हमारे स्वभाव में , हमारी प्रवृत्ति में , हमारी चिंतनधारा में परिवर्तन लायेंगी ।
ये परिवर्तन ही हमारे जीवन का स्थायी परिवर्तन होगा इसके बल पर ही हम अपने जीवन के परम रस को प्रकट कर सकेंगे और आनंद से अपने आपको भर सकेंगे ।
बंधुओं मैं आज आप सबसे यही कहना चाहता हूँ कि अपने जीवन में माधुर्य को प्रकट करना चाहते हैं तो मनोवृत्ति को बदलें और मनोवृत्ति को बदलना चाहते हैं तो हमेशा जागरूक रहें ।
ऐसे निमित्तों से बचें जिससे आपकी मनोवृत्ति बिगड़ती है या जिससे आपकी मनःस्थिति खराब होती हो । सत्संगति करें , सत् साहित्य का अध्ययन करें , अच्छा चिंतन करें ये आपके जीवन में व्यापक बदलाव लायेगा और आपके जीवन को मधुरता के रस से भर जायेगा समय हो गया
इसलिये मैं अपनी वाणी को आज यहीं पर इस भाव के साथ विराम दे रहा हूँ कि सबके जीवन में उस माधुर्य का संचार हो सब व्यक्ति अपने भीतर उस पवित्रता का आनंद ले सकें जिससे जीवन का सच्चा रस प्रकट होता है । ।