तब लगि कुसल न जीव कहुँ सपनेहुँ मन विश्राम ।

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तब लगि कुसल न जीव कहुँ  सपनेहुँ मन विश्राम ।
जब लगि भजत न राम कहुँ  सोक धाम तजि काम ।।


 

( सुंदरकांड , दो. 46) 
         राम राम बंधुओं, रावण द्वारा अपमानित होने पर विभीषण राम जी के पास आते हैं , राम जी उन्हें पास बैठाते है , उनका हाल पूछते हैं । विभीषण जी कहते हैं कि जीव की तब तक कुशलता नही है न ही स्वप्न में उसे शांति है जब तक कि वह बिषय कामनाओं को त्यागकर आपका भजन नहीं करता है ।
          मित्रों , राम भजन हम करते नहीं है और कामनाएँ छूटने के बजाय दिनोंदिन बढ़ती जा रहीं हैं फिर कैसे मन को शांति मिले । शांति पाने का सरल उपाय है राम भजन । राम भजन से ही कामनाएँ कम होगी अस्तु भज श्रीरामम्  भज श्रीरामम् , श्रीरामम् भज मूढ मते 🚩🚩🚩

 

एहि महँ रघुपति नाम उदारा । अति पावन पुरान श्रुति सारा ।
मंगल भवन अमंगल हारी । उमा सहित जेहि जपत पुरारी ।।


 

( बालकांड 9/1) 
          राम राम बंधुओं, अपनी रचना के बारे में बताते हुए गोस्वामी जी मानस के आरंभ में कहते हैं कि इसमें श्रीरघुनाथ जी का उदार नाम है , जो अत्यंत पवित्र है , वेद -पुराणों का सार है ।यह कल्याण का भवन है और अमंगल को दूर करने वाला है । इस राम नाम को भगवान शिव पार्वती के साथ जपते रहते हैं ।
                   मित्रों , इस जगत में हमारा कल्याण कोई कर सकता है तो जगदीश ही कर सकते हैं कारण वे उदार है , कल्याण के धाम है  और अमंगल दूर करने वाले हैं । तो हम आप भी इस पावन राम नाम का जाप कर अपना मंगल कर सकते हैं , तो अब देर नहीं करें , बस जपें, जय सियाराम जय जय सियाराम 🚩🚩🚩

प्रान   प्रान के जीव के जिव  सुख के सुख राम ।
तुम्ह तजि तात सोहात गृह  जिन्हहि तिन्हहि बिधि बाम ।।


 

          राम राम बंधुओं, राम जी को मनाने सारा अवध समाज व राजा जनक चित्रकूट पहुँचें हुए हैं । पहली बैठक उपरांत राम जी वशिष्ठ जी के पास आते हैं और कहते हैं कि आप सब बहुत दिनों से कष्ट सह रहें हैं , अब आप वह करें जिससे सबका हित हो । वशिष्ठ जी कहते हैं कि हे राम ! तुम प्राणों के प्राण , आत्मा के आत्मा व सुख के भी सुख हो । तुमको छोड़कर जिसे घर अच्छा लगे तो समझो बिधाता उसके बिपरीत है ।
         मित्रों , राम जी सुख के आनंद सिंधु हैं , सुखनिधान है , राम जी में ही सब सुख है ।इसके अलावा यदि कोई अन्यत्र सुख ढूँढता है तो समझें कि ईश्वर उसके प्रतिकूल है अतएव राम जी का साथ करें , राम जी के साथ साथ रहें अथ जय राम जय राम जय जय राम 🚩🚩🚩

सुनु मुनि तोहि कहउँ  सहरोसा । भजहिं जे मोहि तजि सकल भरोसा ।
करउँ सदा तिन्ह कै रखवारी । जिमि बालक राखइ  महतारी ।।
( अरण्यकांड 42/2-3)


        राम राम बंधुओं, सीताजी को खोजते हुए राम जी पंपा सरोवर पहुँचते हैं । वहाँ राम जी से मिलने नारद जी आते हैं । नारद जी राम जी से पूछते हैं कि जब मैं विवाह करना चाहता था तो आपने क्यू नहीं करने दिया । राम जी कहते हैं कि मैं प्रसन्नता पूर्वक कहता हूँ कि जो सभी आशा छोड़कर मुझे भजता है , मैं उसकी उसी प्रकार से रखवाली करता हूँ जैसे माता अपने छोटे बालक की देखभाल करती है ।
                मित्रों , जीव का अहं उसको केवल अपने पर भरोसा करना सिखाता है  इसलिए वह सफल नहीं होता है ।आप एकबार पूर्णत: राम जी का होकर देखें , कैसे राम कृपा आपकी हर पल देखभाल करती है अतएव जय राम जय राम जय जय राम।

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