जीवन से जुड़ी प्रेरणा दायक बाते ।
जीवन से जुड़ी प्रेरणा दायक बाते
जवानी
संसार की सबसे उत्तम देव दुर्लभ वस्तु यौवन है ।
बरफ गलने से पहले , सूर्य ढलने से पहले , बुढ़ापा आने से पहले आदमी को जवानी का उपयोग कर लेना चाहिये ।
यौवन , धन सम्पत्ति की प्रचुरता , प्रभुत्व व विवेकशून्यता इनमें से एक भी अनर्थ के लिए पर्याप्त है । जहाँ ये चारों सम्मिलित हों वहाँ अनर्थों का क्या कहना ।
जीवन
मंगल पर जीवन है या नहीं , इसकी चर्चा बहुत की । अब जीवन में मंगल है या नहीं यह जानने का प्रयास शुरू कर दीजिये ।
देश और दुनिया की जनसंख्या की गणना तो बार – बार होती रहती है । हमें हमारे जीवन के दोषों की गणना एक बार कर लेने की आवश्यकता है ।
जीवन एक प्रतिध्वनि है । जो दोगे , वही लौटकर आयेगा ।
सुख दोगे तो सुख मिलेगा और दुःख दोगे तो दुःख मिलेगा ।
जिंदगी जुए का खेल है , इसकी हर घटना एक बाजी है । विवाह , जन्म , मरण सब किस्मत की बातें हैं ।
बाजी कब किधर पलटेगी , दाँव कैसा पड़ेगा , कोई नहीं जानता ।
जीवन एक बाजी के समान है । हार – जीत तो हमारे हाथ नहीं , पर बाजी खेलना हमारे हाथ में हैं ।
किसी की चार दिन की जिन्दगी सौ काम करती है और किसी से सौ बरस की जिंदगी में कुछ नहीं होता ।
जिन्दगी में दिया गया एक गुलाब का फूल मरने के बाद दिये गये गुलदस्ते से कहीं बेहतर है ।
यदि हमारे जीवन में सच्चाई है तो उसका असर अपने आप लोगों पर पड़ेगा । ज्यादातर लोग अपने अतीत को ही सामने रखकर जिंदगी के सफर में आगे बढ़ते हैं ।
बार – बार कहने पर भी जो नहीं संभलता , जिंदगी उसे छोड़कर आगे बढ़ जाती है ।
जब आप अपने जीवन का महत्त्व समझेंगे तो दूसरे भी आपको लोगों पर पड़ेगा ।
ज्यादातर लोग अपने अतीत को ही सामने रखकर जिंदगी के सफर में आगे बढ़ते हैं ।
बार – बार कहने पर भी जो नहीं संभलता , जिंदगी उसे छोड़कर आगे बढ़ जाती है । जब आप अपने जीवन का महत्त्व समझेंगे तो दूसरे भी आपको महत्त्व देंगे ।
जीवन के लिए पाँच शब्द अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है – शिक्षा , दीक्षा , दान , परीक्षा और मोक्ष ।
जीवन का सुख दूसरों को सुखी करने में है , उनको लूटने में नहीं । कभी किसी की हार , कभी किसी की जीत , यही तो है जीवन की रीत ।
जीवन वैसे ही बहुत छोटा है लेकिन हम समय की अंधाधुंध बर्बादी करके इसे और भी छोटा कर देते हैं ।
मेरे कारण किसी की आँख में आँसू – मेरा जीवन असफल है । मेरे लिये किसी की आँख में आँसू – मेरा जीवन सफल है ।
जीवन की महत्ता उसे सही – सही जी लेने में है । अव्यवस्थित जीवन असफलता का बीज है ।
व्यवस्थित जीवन सफलता का बीज है जीवन के तीन हिस्से समाप्त हो गये । 4 बज गये , अब 6 बजने में है । जब 4 बजते देर न लगी तो 6 बजने में क्या लगना है ।
परमात्मा बनने के लिए मिला हुआ जीवन दुकानदार बनके समाप्त मत करना ।
इस अनमोल जीवन को 4-5 करोड़ में मत लगाना ।
जीवन एक संग्राम है । अपना दुःख व सामने वाले का सुख स्वीकार कर सकते हो तो संग्राम में जीत ही होगी ।
जिसके जीवन से इष्ट मित्र , बन्धु , बान्धव जीते हैं , उसी का जीवन सफल है ।
जीवन – कला
जो स्वयं को हर परिस्थिति में ढालना जानता है , उसे जीने की कला आती है ।
यदि आप अपनी सोच और नजरिये को हमेशा सकारात्मक रखते हैं तो कहा जायेगा कि आपको जीने की कला आ गई ।
गृहस्थ – जीवन एक तपोवन है ; जिसमें संयम , सेवा और सहिष्णुता की साधना करनी पड़ती है ।
दो वैर करने वालों के बीच ऐसे रहो कि भविष्य में कभी वे मित्र बन भी जाए तो तुमको लज्जित न होना पड़े नम्रता तो सबके साथ रखें , पर निकटता कुछ लोगों के ही साथ ।
बाहर से छोटे बने रहें , कोई हमें बाधक नहीं बनेगा । भीतर से ‘ बड़े ‘ बने रहें , कोई हमें कष्ट नहीं देगा ।
जितनी बार हम गिरते हैं , अगली बार उतनी ही अच्छी तरह से चलने का रहस्य सीख जाते हैं ।
गुलाब की तरह महकना है तो पहले चिराग की तरह जलना सीखिए ।
दीर्घजीवी सभी बनना चाहते हैं , परंतु दिव्यजीवी नहीं । छोटों को देखकर जियो , बड़ों को देखकर बढ़ो ,
अच्छे के लिए प्रयास करो और बुरे के लिए तैयार रहो ।
तीन बात
प्रकृति , समय व धैर्य ; ये तीनों हर दर्द की दवा है ।
मन , काम और लोभ को सदा वश में रखना चाहिए । कर्ज , फर्ज और मर्ज , इनके प्रति लापरवाही ठीक नहीं ।
समय , मौत और ग्राहक किसी का इन्तजार नहीं करते ।
पिता और यौवन जीवन में एक ही बार मिलते हैं ।
ईश्वर , उद्योग और विद्या में मन लगाने से उन्नति होती है । शक्ति , भक्ति और विरक्ति ; इस त्रिवेणी की आराधना करो ।
बालक , भूखे और अपाहिज का कभी उपहास नहीं करना , चाहिए ।
दूरदर्शिता , साहस और गंभीरता के बिना जिन्दगी एक अन्धा तजुर्बा है ।
तीर कमान से , बात जबान से , जान शरीर से निकल कर वापिस नहीं लौटते ।
अतिराग , अतिवासना , अतिलोभ जहाँ होता है , वहाँ औचित्य का उल्लंघन होता है ।
तीन अवश्य कीजिए- बचपन में ज्ञानार्जन , जवानी में धनार्जन और बुढ़ापे में पुण्यार्जन ।
वृद्ध , विकलांग और अनाथ इन तीनों का सहयोग कीजिए ।
ये आपकी सेवा के प्रथम अधिकारी हैं ।
जहाँ अपूज्य लोग पूजे जाते हैं और पूज्य का अनादर होता है , वहाँ तीन अनर्थ होते हैं – दुर्भिक्ष , मरण और भय । ‘ ।
ज्यादा पैसा , तेजी से प्राप्त होने वाला पैसा और अनुचित मात्रा से प्राप्त होने वाला पैसा ‘ – पैसे को इन तीन भयंकर विशेषणों से सदा बचाते रहना ।
तृष्णा
संसार की समस्त सम्पदा और भोग के साधन भी मनुष्य की इच्छा पूरी नहीं कर सकते हैं ।
तृष्णा का प्याला पीकर आदमी विवेकहीन और पागल हो जाता है ।
संसार में दरिद्री वही है , जिसकी तृष्णा विशाल है ।
भौतिक कामनाओं की वृद्धि शान्त विचारों का अंत कर देती है ।
हमारे पास जो नहीं है उसकी चाहत में इतना मशगुल हो जाते हैं कि जो है ,
उसे भी नजर अंदाज कर असंतोष का एक दुःख ऐसा है कि जिसके सामने अन्य तमाम दुःखों की हार स्वीकार करनी पड़ती है ।
दरिद्र कौन है ? भारी तृष्णा वाला और धनवान कौन है ? जिसे पूर्ण संतोष है ।
इच्छापूर्ति- -सफलता कभी नहीं मिलेगी ।
इच्छात्याग – सफलता इसी क्षण आपके कदम चूमेगी । शरीर की भूख चार ही रोटी से भर जाती है , पर मन की भूख जितना मिले बढ़ती जाती है ।
आदमी को जरूरत कण भर है , संग्रह मण भर है , चाहता टन भर है ।
वृद्ध होने पर केश , दाँत , चक्षु , कान आदि जीर्ण हो जाते हैं ,
पर एक तृष्णा पर बुढ़ापे का प्रभाव नहीं पड़ता है । पाँच बजे तेज सूर्य का ताप भी कम हो जाता है ,
तब बुढ़ापे में तृष्णा कम क्यों नहीं होती ।