धार्मिक आचरण
पोथी पढ़कर कोई विद्वान नहीं हो सकता है । लोग कहते हैं कि इस अर्थ में विद्या क्या है ? ' सां विद्या या विमुक्तये । ' दरअसल विद्या उसी को कहते हैं , जिसके द्वारा हमें विमुक्ति मिल…
भजन में दिखावा ।
भगवान्का नाम प्रेमपूर्वक लेता रहे , नेत्रोंसे जल झरता रहे , हृदयमें स्नेह उमड़ता रहे , रोमांच होता रहे तो देखो , उनमें कितनी विलक्षणता आ जाती है , पर वही दूसरोंको दिखानेके लिय…
पापका बाप ।
एक प्रसिद्ध कहानी है — एक पण्डितजी काशीसे पढ़कर आये । ब्याह हुआ , स्त्री आयी । कई दिन हो गये । एक दिन स्त्रीने प्रश्न पूछा कि ' पण्डितजी महाराज ! यह तो बताओ कि पापका बाप कौन है ?…
नाममें पाप - नाशकी शक्ति
जब ही नाम हृदय धर्यो भयो पाप को नास ।
मानो चिनगी आग की पड़ी पुराने घास ॥
नये घासमें इतनी जल्दी आग नहीं लगती , पुराना घास बहुत जल्दी आगको पकड़ता है । अन…
।। श्रीहरि:।।
रूप बिसेष नाम बिनु जानें । करतल गत न परहिं पहिचानें ॥
समिरिअ नाम रूप बिनु देखें । आवत हृदयँ सनेह बिसेषे ।।
गोस्वामीजी महाराज आगे कहते हैं कि कोई भी…
नाम और रूपकी तुलना ।
पिछली दो चौपाइयोंमें नाम और नामीकी महिमा बतायी गयी और दोनोंको ही श्रेष्ठ , अकथनीय और अनादि बताया । दोनोंमें गहरे उतरनेसे ही पता लगता है । अच्छी समझ होनेसे दोनोंमें हमारी …
भायँ कुभाय कुभायँ अनख आलसहूँ ।
नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ ।
सादर सुमिरन जे नर करहीं ।
भव बारिधि गोपद इव तरहीं ।
किसी तरहसे नाम लिया जाय , वह फायदा करेगा ही । पर जो आदरके सहित ना…
राम और नामीकी महिमा ।
समुझत सरिस नाम अरु नामी ।
प्रीति परसपर प्रभु अनुगामी ॥
समझनेमें नाम और नामी — दोनों एक - से हैं ; परंतु दोनोंमें परस्पर स्वामी और सेवकके समान प्रीति है अर्थात…
वास्तवमें छत्रपति कौन ?
एकु छत्रु एकु मुकुटमनि सब बरननि पर जोउ ।
तुलसी रघुबर नाम के बरन बिराजत दोउ ।।
तुलसीदासजी महाराज कहते हैं - श्रीरामजी महाराजके नामके ये दोनों अक्षर बड़ी शोभा…
भरत का उतराधिकारी।
बड़ा होने पर भरत महान राजा बना । उसकी तीन पत्नियां थीं । उसकी पत्नियां जब भी उससे पुन पैदा करती तो वह कहता , ' यह मेरे समान नहीं दिखता , ' अथवा ' यह मेरे समान व्यवहार नहीं कर…