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भगति सुतिय कल करन बिभूषन। जग हित हेतु बिमल विधु पूषन ।।

       ~~श्री हरि~~     भगति सुतिय कल करन बिभूषन। जग हित हेतु बिमल विधु पूषन ।। 'र' और 'म' …-ये दोनों अक्षर भक्तिरूपिणी जौ श्रेष्ठ स्श्री है' उसके कानोंमें सुन्दर कर्ण फूल हैं । हाथों…
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ताते करहि कृपानिधि दूरी। आध्यात्मिक ज्ञान।

       ~~श्री हरि~~   ताते करहि कृपानिधि दूरी । सेवक पर ममता अति भूरी ।।  अभिमानसे बहुत पतन होता है । उस अभिमानको भगवान्दूऱ करते है । आसुरीसम्पत्त…
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एक राम भक्त सेठ की अनोखी कहानी।

       ~~श्री हरि~~       एक सेठकी बात सुनी । वह सेठ बहुत धनी था । यह सुबह जल्दी उठकर नदीमेँ स्नान करके घर आकर नित्य-नियम करता था । ऐसे वह रोजाना नहाने नदीपर आता था । एक बार एक अच्छे संत विचरते …
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ससृत मूल सूलप्रद नाना । आध्यात्मिक ज्ञान।

                ~~ श्री हरि~~     एक तो धनी आदमीका और दूसरे ज्यादा पढे-लिखे विद्वान्का उद्धार होना कठिन होता है । धनी आदमीके धनका और विद्वान्हके विद्याका अभिमान आ जाता है । अभिमान सब तरहसे नुक्स…
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सूर नर मुनि सब् कैं यह रीती ।

                           ~~श्री हरि ~~   सूर नर मुनि सब् कैं यह रीती । स्वारथ लागि करहि सब प्रीती । । स्वारथ मीत सकल जग माहीं । सपनेहुँ प्रभु परमारथ नाहीं ।।   प्राय: सब लोग स्वार्थसे ही प्रे…
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‘र’रो पिता,माता’म’मो है दोनों का जीव ।

                   ~~श्री हरि~~ लोक लाहु परलोक निबाहू‘ -'राम' नाम इस लोक और   परलोकमें सब जगह काम देता है । इसलिये गोस्वामीजी कहते हैं-'मेरे तो माँ अरु बाप दोउ आखर‘ । 'र' और 'म'…-ये मेरे माँ-बा…
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सुवरण को दूँढ़त फिरत कवि व्यभिचारी चोर ।

           ~~श्री हरि~~     सुवरण को दूँढ़त फिरत कवि व्यभिचारी चोर । चरण धरत धड़कत हियो नेक न भावत शोर । । कवि, व्यभिचारी और चोर…-ये तीनों ही 'सुवर्ण' ढूँढते है, कबि तो सुवर्ण…अच्छे-अच्छे अक्षरो…
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सुमिरन सुलभ सुखद सब काहू। आध्यात्मिक ज्ञान।

          ~~श्री हरि~~     सुमिरन सुलभ सुखद सब काहू। लोक राहु परलोक निबाहू।। कहत सुनत सुमिरत सुठि नीके।राम लखन सम‌ प्रिय तुलसी के ।। ये कहने, सुनने और स्मरण करनेमे बहुत ही अच्छे सुन्दर, और मधुर …
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बरषा रितु रघुपति भगति तुलसी सालि सुदास ।

          ~~श्री हरि~~     बरषा रितु रघुपति भगति तुलसी सालि सुदास । राय नाम बर बरन जुग सावन भादव मास ।। पहले 'राम' नामके अवयवोंका वर्णन हुआ फिर 'महामन्त्र' का वर्णन हुआ । अब दो अक्षरोंका वर्णन ह…
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कृप्या नाम ज़ब श्रवण सुने री मैं आली ।

          ~~श्री हरि~~ कृप्या नाम ज़ब श्रवण सुने री मैं आली । भूलो री भवन हौं तो बावरी भयी री ।। जिन गोपिकाओँके हृदयमे भगवान्का मेम है, वे, उनका नाम सुननेसे ही पागल हो …
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