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राम नाम की महिमा आध्यात्मिक ज्ञान

~~श्री हरि~~   'राम' नामकी वन्दनाका प्रकरण चल रही है। इसमें 'राम' नामकी महिमाका वर्णन भी आया है। इसकी महिमा सुननेसे 'राम' नाम में रुचि हो सकती है, पर यह माहात्म्य तो 'राम' नाम जपने से मिलता है। न…
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माला तो करमेँ फिरे जीभ फिरे मूख माहि ‘।

  ~~श्री हरि~~ माला तो करमेँ फिरे  जीभ फिरे मूख माहि '। मनवा तो चहुँ दिसि फिरे, यह तो सुमिरन नाहि ।। ' भजन होगा नहीं -यह कहाँ लिखा है ? यहाँ तो 'सुमिरन नाहि‘ऐसा लिखा है । सुमिरन नहीं होगा, यह ब…
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पाप पयोनिधि जन मन मीना’ आध्यात्मिक ज्ञान।

~~श्री हरि~~ पाप पयोनिधि जन मन मीना' -पहले हमारे समझमे यह बात नहीं आयी थी । पापमेँ मनुष्यका इतना मन कैसे लग जाता है ? क्या बात है ? परंतु आजकल देखते हैं तो कई जगह यह बात सुननेमें आती है कि बिना पा…
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ध्रुव सगलानि जपेउ हरि नाऊँ ।

~~श्री हरि~~ संसारका आकर्षण रखनेवाले 'आर्त' और 'अर्थार्थी' भी भगवान्के ही भक्त होते हैं । परंतु धनके लिये भगवान् का नाम लेनेसे या कोई दुख दूर करनेके लिये भगवान् का नाम लेनेसे उसे 'अर्थार्थी' या …
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कलि केवल मल मूल मलीना । आध्यात्मिक ज्ञान।

~~श्री हरि~~ कलि केवल मल मूल मलीना ।  . पाप पयोनिथि जन मन मीना ।। कलियुगमें ऐसा जोरोंसे पाप छा जायगा कि मनुष्योंका मन जलमेँ " मछलीकी तरह पापोमें रम जायगा अर्थात् जैसे मछलीको जलसे दूर कर देनेप…
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येषां त्वन्सगतं पापं जनानां पुण्यकर्मणाम् ।

~~श्री हरि~~   येषां त्वन्सगतं पापं जनानां पुण्यकर्मणाम् । ते द्वन्द्रमोहनिर्मुक्ता भजन्ते मां दृढव्रता: । । जिनके पाप नष्ट हो गये हैं, वे ही दृढ़व्रत होकर भगवान् के भजनमें लंग सकते हैं । 'राम' …
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सुमिरत सुलभ सुरवद सब काहू।

  ~~श्री हरि~~   सुमिरत सुलभ सुरवद  सब  काहू। लोक ' लाहु परलोक निबाहू । । सुमिरन करनेमेँ 'राम‘ नाम कठिन नहीं है । 'रा' और 'म' -…-ये दोनों अक्षर उच्चारण कामेमेँ सुगम हैं; क्योकि ये अक्षर अल…
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पुनि परिहरे सुखानेउ परमा ।

~~श्री हरि~~ पुनि परिहरे सुखानेउ परमा ।  उमहि नामु तब भयउ अपरमा । ।  जब पार्वतीने सूखे पत्ते खाने भी छोड दिये तब उसका नाम 'अपर्णा' हो गया । किसी तरहसे मेरे नाममे 'र' आ जाय । पार्वतीकी ऐसी प्रीति…
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रुचिर स्कार बिन तज दी सती सी नार।

~~श्री हरि~~   रुचिर स्कार बिन तज दी सती सी नार, किनी नाहीं रति रुद्र पायके कलेश को । गिरिजा 'भाईं है पुनि तप ते अपर्णा तबे,' कीनी अर्धगा प्यारी लगी गिरिजेश को ।। विष्जु पदी गंगा तउ धूर्जटी …
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तुम्ह पुनि राम राम दिन राती ।

~~श्री हरि~~ तुम्ह पुनि राम राम दिन राती । सादर जपहु अनँग आरांती । । 'आप तो महाराज  रात दिन आदरपूर्वक 'राम-राम-राम' जप कर रहे हैं । एक एक नाम लेते-लेते उसमें आपकी श्रद्धा, प्रेम, आदर उत्…
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