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नाम और रूपकी तुलना। आध्यात्मिक ज्ञान।

नाम और रूपकी तुलना । पिछली दो चौपाइयोंमें नाम और नामीकी महिमा बतायी गयी और दोनोंको ही श्रेष्ठ , अकथनीय और अनादि बताया । दोनोंमें गहरे उतरनेसे ही पता लगता है । अच्छी समझ होनेसे दोनोंमें हमारी …
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नर तन दीनों रामजी, सतगुरु दीनो ज्ञान’ ए घोडा़ हाँको अब, ओ आयो मैदान ।

             ~~श्री हरि~~   नर तन दीनों रामजी, सतगुरु दीनो ज्ञान' ए घोडा़ हाँको अब, ओ आयो मैदान । औ आयो मैदान बाग करड़ी कर साबो, हृदय राखो . ध्यान नाम रंसमासे गावो । कुण देख सगराम कहे आगे काढे क…
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पुनि परिहरे सुखानेउ परमा ।

~~श्री हरि~~ पुनि परिहरे सुखानेउ परमा ।  उमहि नामु तब भयउ अपरमा । ।  जब पार्वतीने सूखे पत्ते खाने भी छोड दिये तब उसका नाम 'अपर्णा' हो गया । किसी तरहसे मेरे नाममे 'र' आ जाय । पार्वतीकी ऐसी प्रीति…
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रुचिर स्कार बिन तज दी सती सी नार।

~~श्री हरि~~   रुचिर स्कार बिन तज दी सती सी नार, किनी नाहीं रति रुद्र पायके कलेश को । गिरिजा 'भाईं है पुनि तप ते अपर्णा तबे,' कीनी अर्धगा प्यारी लगी गिरिजेश को ।। विष्जु पदी गंगा तउ धूर्जटी …
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गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिश्र न मिनरल।

श्री सीताराम-वंदना गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिश्र न मिनरल। बंदउँ सीता राम पद जिन्हहि परम प्रिय खित्रा ।। गोस्वामी श्री तुलसीदास जी महाराज कथा प्रारम्भ करने से पहले सभी की वंदना करते है । इस दोहे …
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