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कबीरदास रहीमदास के अनमोल दोहे।

कबीरदास जी के दोहे।    रहीमदास जी के दोहे।    तुलसीदास जी के दोहे। आसै पासै जो फिरै , निपटु पिसावै सोय ।  कीला से लगा रहै , ताको बिघन न होय ॥   - कबीरदास - कबीरदास कहते हैं कि जो जीव इधर - उध…
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कबीरदास तुलसीदास के अनमोल दोहे।

आध्यात्मिक ज्ञान।                            अनमोल दोहे।   कबीरदास जी के दोहे  तुलसीदास जी के दोहे   करता था क्यों रहा , अब करि क्यों पछिताय ।  बोवै पेड़ बबूल का , आम कहां से खाय ॥              …
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कबीरदास रहीमदास के अनमोल दोहे।

                                अनमोल दोहे कबीर दास के दोह रहीम के दोहे  ' दादू ' मन ही माया उपजे , मन ही माया जाय ।     मन ही राता राम सों , मन ही रह्या समाय ।।    -दादू दयाल अर्थात् दाद…
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तुम्हरेहिं भाग रामु बन जाहीं । ज्ञान

तुम्हरेहिं भाग रामु बन जाहीं । दूसर हेतु तात कछु नाहीं ।। सकल सुकृत कर बड़ फल एहू । राम सीय पद सहज सनेहू ।। ( अयोध्याकाण्ड 74/2)    राम राम बंधुओं, राम जी से वन साथ चलने की आज्ञा मिलने …
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नास्ति तत्वं गुरोः परम् । आध्यात्मिक ज्ञान

नास्ति तत्वं गुरोः परम् ।  शिष्य का यह कर्तव्य होता है कि गुरुसेवा में अपना सर्वस्व लुटा दे । गुरु का स्वभाव ही होता है कि वह संप्राप्त आध्यात्मिक पूँजी का अपना संपूर्ण कोष शिष्य के हृदय में उड…
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लोभ और प्रेम।आध्यात्मिक ज्ञान।

लोभ और प्रेम  रामचंद्र शुक्ल ने लोभ और प्रीति विषय में यही कहा कि किसी प्रकार का सुख या आराम देने वाली वस्तु के संबंध में मन की ऐसी स्थिति , जिसमें उस वस्तु के अभाव की भावना होते ही प्राप्ति , स…
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रूप बिसेष नाम बिनु जानें ।

                            ।। श्रीहरि:।। रूप बिसेष नाम बिनु जानें । करतल गत न परहिं पहिचानें ॥   समिरिअ नाम रूप बिनु देखें । आवत हृदयँ सनेह बिसेषे ।।   गोस्वामीजी महाराज आगे कहते हैं कि कोई भी…
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कबीर छुधा है कूकरी तन सों दई लगाय ।

               ~~श्री हरि~~     जोधपुर. श्रीबुधाराम जी महाराज हुए हैं । 'बागर'में उनका रामद्वारा है वे माताजी सहित वहॉ रहते थे । इनंको खेडापा म…
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चहुँ जुग चहूँ श्रुति नाम प्रभाऊ । कलि तिसेपि नहि आन उपाऊ । । नाम्रामकारि बहुधा निज सर्वशक्ति स्तत्रार्पिता नियमित: स्मरणे न काल: । ।

            ~~श्री हरि~~   चहुँ जुग चहूँ श्रुति नाम प्रभाऊ ।  कलि तिसेपि नहि आन उपाऊ । ।  नाम्रामकारि बहुधा निज सर्वशक्ति  स्तत्रार्पिता नियमित: स्मरणे न काल: । ।  श्रीचैतन्य-महाप्रभुने कहा है…
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