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भगति सुतिय कल करन बिभूषन। जग हित हेतु बिमल विधु पूषन ।।

       ~~श्री हरि~~     भगति सुतिय कल करन बिभूषन। जग हित हेतु बिमल विधु पूषन ।। 'र' और 'म' …-ये दोनों अक्षर भक्तिरूपिणी जौ श्रेष्ठ स्श्री है' उसके कानोंमें सुन्दर कर्ण फूल हैं । हाथों…
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ताते करहि कृपानिधि दूरी। आध्यात्मिक ज्ञान।

       ~~श्री हरि~~   ताते करहि कृपानिधि दूरी । सेवक पर ममता अति भूरी ।।  अभिमानसे बहुत पतन होता है । उस अभिमानको भगवान्दूऱ करते है । आसुरीसम्पत्त…
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ससृत मूल सूलप्रद नाना । आध्यात्मिक ज्ञान।

                ~~ श्री हरि~~     एक तो धनी आदमीका और दूसरे ज्यादा पढे-लिखे विद्वान्का उद्धार होना कठिन होता है । धनी आदमीके धनका और विद्वान्हके विद्याका अभिमान आ जाता है । अभिमान सब तरहसे नुक्स…
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सूर नर मुनि सब् कैं यह रीती ।

                           ~~श्री हरि ~~   सूर नर मुनि सब् कैं यह रीती । स्वारथ लागि करहि सब प्रीती । । स्वारथ मीत सकल जग माहीं । सपनेहुँ प्रभु परमारथ नाहीं ।।   प्राय: सब लोग स्वार्थसे ही प्रे…
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‘र’रो पिता,माता’म’मो है दोनों का जीव ।

                   ~~श्री हरि~~ लोक लाहु परलोक निबाहू‘ -'राम' नाम इस लोक और   परलोकमें सब जगह काम देता है । इसलिये गोस्वामीजी कहते हैं-'मेरे तो माँ अरु बाप दोउ आखर‘ । 'र' और 'म'…-ये मेरे माँ-बा…
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माला तो करमेँ फिरे जीभ फिरे मूख माहि ‘।

  ~~श्री हरि~~ माला तो करमेँ फिरे  जीभ फिरे मूख माहि '। मनवा तो चहुँ दिसि फिरे, यह तो सुमिरन नाहि ।। ' भजन होगा नहीं -यह कहाँ लिखा है ? यहाँ तो 'सुमिरन नाहि‘ऐसा लिखा है । सुमिरन नहीं होगा, यह ब…
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येषां त्वन्सगतं पापं जनानां पुण्यकर्मणाम् ।

~~श्री हरि~~   येषां त्वन्सगतं पापं जनानां पुण्यकर्मणाम् । ते द्वन्द्रमोहनिर्मुक्ता भजन्ते मां दृढव्रता: । । जिनके पाप नष्ट हो गये हैं, वे ही दृढ़व्रत होकर भगवान् के भजनमें लंग सकते हैं । 'राम' …
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सुमिरत सुलभ सुरवद सब काहू।

  ~~श्री हरि~~   सुमिरत सुलभ सुरवद  सब  काहू। लोक ' लाहु परलोक निबाहू । । सुमिरन करनेमेँ 'राम‘ नाम कठिन नहीं है । 'रा' और 'म' -…-ये दोनों अक्षर उच्चारण कामेमेँ सुगम हैं; क्योकि ये अक्षर अल…
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रुचिर स्कार बिन तज दी सती सी नार।

~~श्री हरि~~   रुचिर स्कार बिन तज दी सती सी नार, किनी नाहीं रति रुद्र पायके कलेश को । गिरिजा 'भाईं है पुनि तप ते अपर्णा तबे,' कीनी अर्धगा प्यारी लगी गिरिजेश को ।। विष्जु पदी गंगा तउ धूर्जटी …
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तुम्ह पुनि राम राम दिन राती ।

~~श्री हरि~~ तुम्ह पुनि राम राम दिन राती । सादर जपहु अनँग आरांती । । 'आप तो महाराज  रात दिन आदरपूर्वक 'राम-राम-राम' जप कर रहे हैं । एक एक नाम लेते-लेते उसमें आपकी श्रद्धा, प्रेम, आदर उत्…
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