महाभारत के पात्र अर्थात् कामव्यवस्था का ऊर्धीकरण।
महाभारत के अधिकतर पात्रों के जन्म हमारे नैतिक और सामाजिक स्वीकृति के मापदंड के विपरीत स्त्री - पुरुष संबंधों के कारण ही हुए हैं । जिन्हें…
नाममें पाप - नाशकी शक्ति
जब ही नाम हृदय धर्यो भयो पाप को नास ।
मानो चिनगी आग की पड़ी पुराने घास ॥
नये घासमें इतनी जल्दी आग नहीं लगती , पुराना घास बहुत जल्दी आगको पकड़ता है । अन…
भायँ कुभाय कुभायँ अनख आलसहूँ ।
नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ ।
सादर सुमिरन जे नर करहीं ।
भव बारिधि गोपद इव तरहीं ।
किसी तरहसे नाम लिया जाय , वह फायदा करेगा ही । पर जो आदरके सहित ना…
राम और नामीकी महिमा ।
समुझत सरिस नाम अरु नामी ।
प्रीति परसपर प्रभु अनुगामी ॥
समझनेमें नाम और नामी — दोनों एक - से हैं ; परंतु दोनोंमें परस्पर स्वामी और सेवकके समान प्रीति है अर्थात…
वास्तवमें छत्रपति कौन ?
एकु छत्रु एकु मुकुटमनि सब बरननि पर जोउ ।
तुलसी रघुबर नाम के बरन बिराजत दोउ ।।
तुलसीदासजी महाराज कहते हैं - श्रीरामजी महाराजके नामके ये दोनों अक्षर बड़ी शोभा…
भरत का उतराधिकारी।
बड़ा होने पर भरत महान राजा बना । उसकी तीन पत्नियां थीं । उसकी पत्नियां जब भी उससे पुन पैदा करती तो वह कहता , ' यह मेरे समान नहीं दिखता , ' अथवा ' यह मेरे समान व्यवहार नहीं कर…
महाभीष , शांतनु बने ।
अपने जीवन काल में पुण्य कमाने के कारण महाभीष नामक राजा को स्वर्ग में प्रवेश की अनुमति मिली । वहां देवताओं की संगति में उसने अप्सराओं के नृत्य और गंधर्वो के संगीत का भरप…
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ययाति की मांग
शर्मिष्ठा असुरों के राजा विषपर्व की बेटी थी और देवयानी असुरों के गुरु शुक्र की बेटी थी । उन दोनों में ही गहन मित्रता थी । लेकिन एक दिन दोनों में डटकर लड़ाई हुई । तालाब में…
माधवी की क्षमाशीलता ।
ययाति की एक पुत्री थी , जिसका नाम माधवी था और जिसके भाग्य में चार राजाओं की मां होना निर्धारित था । एक दिन ययाति के यहां गालव ऋषि आए और उन्होंने एक काले कान वाले 800 श्वे…
चंद्र का पुत्र।
कोई मनुष्य जब मरता है तो यदि उसने , अपने सत्कर्मों से पुण्य कमाया हुआ है तो आसमान के भी ऊपर बसे देवताओं के स्वर्ग में जगह पा सकता है । मनुष्य इसे स्वर्ग कहते ही इसके निवासी दे…