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नर तन दीनों रामजी, सतगुरु दीनो ज्ञान’ ए घोडा़ हाँको अब, ओ आयो मैदान ।

             ~~श्री हरि~~   नर तन दीनों रामजी, सतगुरु दीनो ज्ञान' ए घोडा़ हाँको अब, ओ आयो मैदान । औ आयो मैदान बाग करड़ी कर साबो, हृदय राखो . ध्यान नाम रंसमासे गावो । कुण देख सगराम कहे आगे काढे क…
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चहुँ जुग चहूँ श्रुति नाम प्रभाऊ । कलि तिसेपि नहि आन उपाऊ । । नाम्रामकारि बहुधा निज सर्वशक्ति स्तत्रार्पिता नियमित: स्मरणे न काल: । ।

            ~~श्री हरि~~   चहुँ जुग चहूँ श्रुति नाम प्रभाऊ ।  कलि तिसेपि नहि आन उपाऊ । ।  नाम्रामकारि बहुधा निज सर्वशक्ति  स्तत्रार्पिता नियमित: स्मरणे न काल: । ।  श्रीचैतन्य-महाप्रभुने कहा है…
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श्रीचैतन्य-महाप्रभु और उनके शिष्य की कहानी

        ~~श्री हरि~~     श्रीचैतन्य-महाप्रभुके कई शिष्य हुए हैं । उनमें एक हरिदासजी महाराज भी थे । वे थे तो मुसलमान, पर चैतन्य महाप्रभुके संगसे भगबन्नाममे लग गये ।…
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स्वाद तोष सम सुगति सुधा के । आध्यात्मिक ज्ञान।

         ~~श्री हरि~~ स्वाद तोष सम सुगति सुधा के । कमठ सेष सम धर बसुधा के ।। . जीवका कल्याण हो जाय, इससे ऊँची कोई गति नहीं है । ऐसी जो श्रेष्ठ गति (मुक्ति) …
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भगति सुतिय कल करन बिभूषन। जग हित हेतु बिमल विधु पूषन ।।

       ~~श्री हरि~~     भगति सुतिय कल करन बिभूषन। जग हित हेतु बिमल विधु पूषन ।। 'र' और 'म' …-ये दोनों अक्षर भक्तिरूपिणी जौ श्रेष्ठ स्श्री है' उसके कानोंमें सुन्दर कर्ण फूल हैं । हाथों…
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ताते करहि कृपानिधि दूरी। आध्यात्मिक ज्ञान।

       ~~श्री हरि~~   ताते करहि कृपानिधि दूरी । सेवक पर ममता अति भूरी ।।  अभिमानसे बहुत पतन होता है । उस अभिमानको भगवान्दूऱ करते है । आसुरीसम्पत्त…
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एक राम भक्त सेठ की अनोखी कहानी।

       ~~श्री हरि~~       एक सेठकी बात सुनी । वह सेठ बहुत धनी था । यह सुबह जल्दी उठकर नदीमेँ स्नान करके घर आकर नित्य-नियम करता था । ऐसे वह रोजाना नहाने नदीपर आता था । एक बार एक अच्छे संत विचरते …
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ससृत मूल सूलप्रद नाना । आध्यात्मिक ज्ञान।

                ~~ श्री हरि~~     एक तो धनी आदमीका और दूसरे ज्यादा पढे-लिखे विद्वान्का उद्धार होना कठिन होता है । धनी आदमीके धनका और विद्वान्हके विद्याका अभिमान आ जाता है । अभिमान सब तरहसे नुक्स…
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सूर नर मुनि सब् कैं यह रीती ।

                           ~~श्री हरि ~~   सूर नर मुनि सब् कैं यह रीती । स्वारथ लागि करहि सब प्रीती । । स्वारथ मीत सकल जग माहीं । सपनेहुँ प्रभु परमारथ नाहीं ।।   प्राय: सब लोग स्वार्थसे ही प्रे…
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‘र’रो पिता,माता’म’मो है दोनों का जीव ।

                   ~~श्री हरि~~ लोक लाहु परलोक निबाहू‘ -'राम' नाम इस लोक और   परलोकमें सब जगह काम देता है । इसलिये गोस्वामीजी कहते हैं-'मेरे तो माँ अरु बाप दोउ आखर‘ । 'र' और 'म'…-ये मेरे माँ-बा…
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