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जैसे नाम वैसी मनोवृत्ति।आध्यात्मिक ज्ञान

जैसे नाम वैसी मनोवृत्ति।  इस धरती पर वे लोग जिन्हें महापुरुष के पूजते हैं । चाहे श्री राम हुये , कृष्ण हुये , महावीर हुये । हम उन्हें सन्त , महात्मा के रूप में पूजते हैं और वे भी लोग जिन्हें …
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अंदर भरा सरोवर का रस। आध्यात्मिक ज्ञान।

अंदर भरा सरोवर का रस।  हमारे जीवन में माधुर्य हो । माधुर्य सबको प्रिय है , मधुरता सबको अच्छी लगती है । कटुता किसी को प्रिय नहीं होती । आपके मुंह में जब कोई मधुर चीज जाती है तो मन प्रफुल्लित हो…
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धर्म जोड़ता मन वीणा के टूटे तारों को।

धर्म जोड़ता मन वीणा के टूटे तारों को।  दीपावली का समय नजदीक था , एक व्यक्ति अपने घर की सफाई में लगा हुआ था । अचनाक उसकी दृष्टि एक ऐसी वस्तु पर पड़ी , जिसके विषय में वह कुछ खास नहीं जानता था । …
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तुम्हरेहिं भाग रामु बन जाहीं । ज्ञान

तुम्हरेहिं भाग रामु बन जाहीं । दूसर हेतु तात कछु नाहीं ।। सकल सुकृत कर बड़ फल एहू । राम सीय पद सहज सनेहू ।। ( अयोध्याकाण्ड 74/2)    राम राम बंधुओं, राम जी से वन साथ चलने की आज्ञा मिलने …
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परमात्मा की परख आध्यात्मिक ज्ञान।

*➖परमात्मा की परख➖* *एक समय की बात है किसी गाँव में एक साधु रहता था, वह परमात्मा का बहुत बड़ा भक्त था और निरंतर एक पेड़ के नीचे बैठ कर तपस्या किया करता था | उसका परमात्मा पर अटूट विश्वास था और गा…
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जाति पाँति कुल धर्म बड़ाई । ज्ञान

                            ~~ श्री हरि~~   जाति पाँति कुल धर्म बड़ाई । धन बल परिजन गुन चतुराई ।। भगति हीन नर सोहइ कैसा । बिनु जल बारिद देखिअ कैसा ।। ( अरण्यकांड 34/3)  राम राम बंधुओं,…
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भए बरन संकर कलि भिन्नसेतु सब लोग ।

                     ~~श्री हरि~~  जन्म मरन सब दुख सुख भोगा । हानि लाभु प्रिय मिलन बियोगा । काल करम बस होहिं गोसाई । बरबस राति दिवस की नाई ।। सुख हरषहिं जड़ दुख बिलखाहीं। दोउ सम धीर धरहिं मन मा…
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ईश्वर उपासक के लक्षण। आध्यात्मिक ज्ञान

ईश्वर उपासक के लक्षण ।  १. सम्पूर्ण दिन ईश्वर के साथ सम्बन्ध बनाये रखना ।  २. समस्त संसार का ( अपने शरीर , मन , बुद्धि आदि सहित ) निर्माता , पालक , रक्षक ईश्वर को मानना ।  ३. वेद तथा वेदानुकू…
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मन पर अधिकार करने की विधि।

मन पर अधिकार करने की विधि  मन के विषय में प्राय : व्यक्ति ऐसा कहते हैं कि " मेरा मन तो रुकता ही नहीं है , मन में खूब विचार आते हैं और जितना मैं इन्हें रोकने का प्रयल करता हूँ उतने ही अधिक विचा…
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आध्यात्मिक विकास के लिए सबसे अच्छा वातावरण।

आध्यात्मिक विकास के लिए सबसे अच्छा वातावरण । शुभ के चिंतन , मनन , अभ्यास से मन की अशुभ वृत्तियाँ , बुरे संस्कार भी क्षीण हो जाते हैं और एक दिन मन शुद्ध , निर्मल बन जाता है । मन में शुद्ध भावनाओ…
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