हरषे हेतु हेरि हर ही को।आध्यात्मिक ज्ञान।

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~~ श्री हरि~~
 
हरषे हेतु हेरि हर ही को।
किय भूषन तिय भूषन ती को।।
राम नाम के प्रति पार्वती जी के हृदय की ऐसी प्रीति देखकर भगवान शंकर हर्षित हो गए और उन्होंने स्त्रियों में भूषण रूप पार्वती जी को अपना भूषण बना लिया अर्थात उन्हें अपने अग्ड़मे में धारण करके अर्धांगिनी बना दीया किसी स्त्री की बड़ाई की जाए तो उसे सती की उपमा देकर कहा जाता है कि यह बड़ी क्षति साध्वी है परंतु राम नाम में हृदय की प्रीति होने से पतिव्रता ओ में शिरोमणि हो गई जितनी करने आए हैं वह सब की सब सती पार्वती जी का पूजन करती है कि जिससे हमें अच्छा वर् मिले अच्छा घर मिले हम सुखी हो जाएं जगत जननी जानकी जी भी पार्वती जी का पूजन करती है उनकी मां सुनयना जी कहती है जाओ बेटी सती का पूजन करो सीता जी सती का पूजन करती हैं और अपने मनचाहा वर मांगती है सती का पूजन करने से श्रेष्ठ वर मिलता है सती सब स्त्रियों का गहना है सति का नाम ले तो पतिव्रता बन जाए इतना उसका प्रभाव है उस सति को भगवान शंकर सुख होकर अपनी अर्धांगिनी बना लिया आपने अर्धनारेश्वरभगवान शंकर का चित्र देखा होगा एक तरफ आधी मूंछ है और दूसरी तरफ नाथ है वाम भाग पार्वती का शरीर और दाहिना भाग भगवान शंकर का शरीर है एक कवि ने इस ग्रुप के विषय में बड़ा सुंदर लिखा है।
निपिय स्टनमेकं च मुहुरन्यं पयोधरम्।
मार्गन्तं बालमालोक्याव्श्रासयन्तौ हि दम्पती।।
बालक मां का स्तन (पीता) है तो मुंह में एक स्तन को
लेता है और दूसरेको टटोलकर हाथमे पकड़ लेता है कि कहीं कोई
दूसरा लेकर पी न जाय, इसका दूध भी मैँ ही पीऊँगा । इसी प्रकार
गणेशजी भी ऐसे एक बार माँका एक स्तन पीने लगे और दूसरा स्तन टटोलने लगे, पर वह मिले कहाँ ? उधर तो बाबाजी बैठे हैं, माँ तो है ही नहीं । अब वे दूसरा स्तन खोजते हैं दूध पोनेके लिये, तो माँ ने कहा… ‘बेटा ! एक ही पी ले । दूसरा कहाँसे लाऊँ । ‘ ऐसे भगवान शंकर अर्द्धनारीश्वर बने हुए हैं । भगवान शंकर ‘राम’ नाम जप करनेवाली सती पार्वतीको अपने अङ्गका भूषण ही बना लिया । ‘राम’ नामपर उनका बहुत ज्यादा स्नेह है…ऐसा देखकर पार्वतीजीने पूछा…

जय श्री राम 

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