भीष्म पितामह का असंगत ताटस्थ्य ।
देश के निकट के भूतकाल में देखें तो स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब आपातकाल घोषित किया था और इस तरह लोकतंत्र का गला घोंटा था तो जनता की नजर सर्वप्रथम आचार…
पूर्णत्व की अनुभूति ।
समग्र सृष्टि में स्त्री और पुरुष , इन दो अद्भुत तत्त्वों का निर्माण हुआ है । ये दो घटक तत्त्व सहज और परस्पर पूर्णत्व के लिए अनिवार्य तत्त्व होने के बावजूद आज इक्कीसवीं शताब्दी …
त्याग का स्थान सर्वोपरि।
भीष्म का त्याग , कृष्ण की अनासक्ति , कर्ण का औदार्य , युधिष्ठिर द्वारा अपने शासनकाल में किए गए राजसूय और अश्वमेघ यज्ञ तथा स्वयं अनेक यज्ञ और प्रभूत दान किए जाने पर दुर्योधन …
व्यापक धर्म का अनुसरण
सामान्य व्यावहारिक जीवन में कई बार क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए , ऐसा सवाल पैदा होता रहता है । अलग - अलग व्यावहारिक भूमिका हम निभाते हैं और इसमें दो भूमिकाओं…
नकारात्मक तत्त्वों की दारुण पराजय ।
मनुष्य में त्याग , सेवा , प्रेम , समर्पण जैसे सकारात्मक और अहंकार , ईष्या , द्वेष , वैर आदि नकारात्मक , इस प्रकार दोनों अंतिम एक साथ रहते हैं । जि…
तुलसी पौधे और सुगंध ।
सामान्यतः ऐसा कहा जाता है कि रामायण पारिवारिक जीवन की कथा है और महाभारत पारिवारिक द्वेष की कथा है । पारिवारिक जीवन कैसा होना चाहिए , रामायण इसका आदर्श प्रस्तुत करती है औ…
ब्रह्मास्त्रवाले अश्वत्थामाओं के बीच
खोज संयमी अर्जुनों की ।
दो - दो विश्वयुद्धों के महाविनाश के बाद भी आज के विश्व में एक भी दिन ऐसा नहीं गया , जब कोई न - कोई सशस्त्र संघर्ष जारी …
अर्जुन की आत्महत्या और युधिष्ठिर का वध।
महाभारत में भीष्म की प्रतिज्ञा , कर्ण का औदार्य , युधिष्ठिर की क्षमाभावना , विदुर की ज्ञानचर्चा , ये सभी कथानक व्यावहारिक जीवन से दूर लगते हैं । वास्तवि…
नर , नरोत्तम , नारायण ।
महाभारत में सावित्री मंत्र जैसे जिन दो श्लोकों का हमने उल्लेख किया , उनमें से आरंभ के श्लोक में महाभारत में लेखक ने जिन विषयों की चर्चा की है , उनकी सूची दी है , परंतु इ…
मानव व्यवहार का शाश्वत धर्म ।
महाभारत के विषय में भारतीय भाषाओं में ही नहीं , विदेशी भाषाओं में भी अब तक बहुत कुछ लिखा गया है और अभी भी अविरत लिखा जा रहा है । पाठकों में भी महाभारत के विषय मे…