माता - पिता के गौरव की स्थापना : बच्चों का कर्त्तव्य ।
माता - पिता के गौरव की स्थापना : बच्चों का कर्त्तव्य ।
तीन का उपकार बहुत दुष्प्रतिकार होता है माता - पिता , गुरु और जीविकादाता | माता…
होवे घर घर श्रवण सा बेटा । रहें कृतज्ञ अपनी जननी के।
होवे घर घर श्रवण सा बेटा ।
हमारे अतीत के इतिहास में एक नर रत्न हुआ है श्रवण कुमार जो केवल भारत में ही हुआ जिसने अपने जीवन पर्यंत में अपनी भरी जवा…
कर्मबंधन से कैसे छूटें?
स्वरूपतः हम कौन हैं ? कहाँसे आये हैं ? हमारा गन्तव्य क्या है ? यह संसारका अत्यन्त जटिल प्रश्न है । पूरा विश्व इसका समुचित उत्तर देनेमें बगलें झाँकने लगता ह…
परिवार की खुशहाली का राज । जीवन मूल्यों की शिक्षा मिलती हमें रामायण से।
परिवार की खुशहाली का राज
विश्व परिवार नहीं विश्व बाजार भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति है । हम उस संस…
गुण ग्रहण का भाव रहे नित।वर्तमान " की चाभी “ भविष्य " का ताला ।
गुण का भाव नीत
अच्छी तरह से वर्गीकृत है। प्रोबेशन की गुणवत्ता आपकी दृष्टि पर विशेष। अवैगुनी गुण विशेष रूप से सक्षम होने पर भी दो…
सन्तोषी सदा सुखी। बुराई में भी अच्छाई से सूत्र हैं ।
सन्तोषी सदा सुखी।
दूसरी बात है- जो है जितना है उतने में संतुष्ट रहिये । आज मनुष्य के पास जितना है , उसमें उसे चैन नहीं है । पर्याप्त होने के …
पर की पीड़ा हिमालयी है अपना दुख है कितना बौना ?
दो प्रकार का सुख होता है एक अभिप्राय का सुख , जबकि दूसरा अनुभूति का सुख । अभिप्राय का सुख मनुष्य के स्टेटस पर अवलंबित होता है और अनुभूति का सुख मनुष…
अन्दर स्याह ऊपर सफेदी
दूसरी सोच है व्यावहारिक सोच । व्यावहारिक सोच में जीने वाले लोग बहुत हिसाब किताब से जीते हैं । वे हर चीज को मेण्टेन करके चलते हैं कि हमारे व्यवहार का सामने वाले पर कोई बु…
दुख की बदरिया में सुख का नज़रिया
जमीन में हम जैसे बीज बोते हैं , वैसा ही अंकुर उगता है यदि गुलाब बोया जाता है तो गुलाब ही खिलता है और कैक्टस बोया जाता है तो कैक्टस उगता है ।
यह तुम्हारे ऊपर है कि …